चर्चाओं में पौड़ी गढ़वाल सीट
- दोनों राष्ट्रीय दलों ने सियासी शतरंज की बिसात में बिछाये जनरल की पसंद के मोहरे
- एक तरफ पुत्र तो दूसरी ओर ‘शिष्य’ कर रहे जनरल का आशीर्वाद मिलने का दावा
देहरादून। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ सियासी घटनाक्रम बहुत तेजी से बदला है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं रहा। भाजपा के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार करने और उनके बेटे मनीष खंडूड़ी के कांग्रेस में शामिल होकर अपने पिता की सीट पर चुनाव लड़ने स्थितियां तेजी से बदलीं। भाजपा ने भी तुरुप का पत्ता चलते हुए जनरल खंडूड़ी की विरासत कब्जाने के लिये उन्हीं के परम शिष्य तीरथ सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतार दिया है। रोचक बात यह है कि पुत्र और शिष्य दोनों ही जनरल का ‘आशीर्वाद’ अपने साथ होने का दावा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पांच जिलों पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग (संपूर्ण) और टिहरी के दो विधानसभा क्षेत्रों व नैनीताल के एक विस क्षेत्र में पसरी लोकसभा की पौड़ी गढ़वाल सीट इस बार खूब चर्चाओं में है। वर्ष 1952 से लेकर अब तक आठ बार कांग्रेस और छह बार भाजपा की झोली में रही इस सीट पर फिर भाजपा और कांग्रेस ही मुकाबले में दिख रही हैं। दोनों ही दलों ने यहां से मौजूदा सांसद मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी (सेनि) की सियासी विरासत कब्जाने को दांव खेला है। भाजपा ने राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत को मैदान में उतारा है, जो खंडूड़ी के सबसे करीबियों में शामिल हैं और जनरल खंडूड़ी के सबसे बड़े शिष्य हैं। तो कांग्रेस ने भी खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही प्रत्याशी जनरल खंडूड़ी का आशीर्वाद खुद के साथ होने का दावा कर रहे हैं।
ऐसे में आने वाले दिनों में सीट की जंग रोचक रहने के आसार हैं। भाजपा के सामने सीट को बरकरार रखने की चुनौती है तो कांग्रेस की नजर खंडूड़ी की विरासत पर कब्जा कर जीत हासिल करने की है। अब देखना यह है कि जनरल खंडूड़ी का ‘आशीर्वाद’ किसे मिलता है और उनकी ‘विरासत’का प्रसाद किसकी झोली में जाता है।