बड़े धोके हैं राहों में, बाबू जी संभलकर….!

देहरादून। श्रम विभाग के लिए बनाई गई अधीनस्थ श्रमसेवा नियमावली-2020 के लागू होने से अधिकारियों के प्रमोशन के रास्ते में अवरोध पैदा हो गया है। प्रमोशन के लिए पहले पांच वर्ष सेवा अवधि का प्रावधान था जिसे बढ़ाकर अब सात वर्ष कर दिया गया है।
विभाग में उपश्रमायुक्त से लेकर श्रम प्रवर्तन अधिकारी तक के 25 पद खाली हैं, लेकिन प्रमोशन नहीं हो पा रहे हैं। श्रम प्रवर्तन अधिकारी स्तर के एक-एक अधिकारी पर खाली पदों के अधिकारियों के काम का भी बोझ है, जिस कारण काम प्रभावित हो रहा है। श्रम प्रवर्तन अधिकारियों को अपने काम के साथ-साथ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़े कार्यों की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ रही है।
उत्तराखंड राज्य का गठन होने के 15 वर्ष बाद वर्ष 2016 में श्रम विभाग का पुनर्गठन हो सका। इसके चार वर्ष बाद अब प्रदेश शासन ने श्रम विभाग की नई अधीनस्थ श्रम सेवा नियमावली-2020 को मंजूरी देकर इसे लागू किया है। इसमें श्रम प्रवर्तन अधिकारी और फिर सहायक श्रमायुक्त के पद थे। इससे ऊपर पद पर प्रमोशन के लिए सात वर्ष एक ही पद पर कार्य करने की वरिष्ठता का प्रावधान कर दिया गया है। पहले यह अवधि केवल पांच वर्ष की थी। यूपी, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में अब भी पांच वर्ष की अवधि वाला प्रावधान चल रहा है। पहले मिनिस्टीरियल स्टाफ में से श्रम प्रवर्तन अधिकारी व श्रम प्रवर्तन अधिकारी से सहायक श्रमायुक्त और सहायक श्रमायुक्त पद से उपश्रमायुक्त पदों पर प्रमोशन होने पद रिक्त पद भर जाते थे लेकिन अब सात वर्ष की शर्त से इसमें देरी हो रही है।

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