मकर संक्रांति पर देवप्रयाग संगम पर पहला स्नान कर सकेंगे साधु संत!

  • कुंभ के दूसरे स्नान के लिए संतों को बसंत पंचमी के दिन ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट संगम पर मिली स्नान की अनुमति

देवप्रयाग। कुंभ मेला प्रशासन ने साधु संतों के अनुरोध पर उन्हें गंगा स्नान की अनुमति दे दी है। पहले स्नान के लिए अगले वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर देवप्रयाग संगम पर साधु संत स्नान कर सकेंगे। जबकि दूसरे स्नान के लिए संतों को बसंत पंचमी को ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट संगम पर स्नान की अनुमति दी गई है।
देवप्रयाग संगम पर स्नान की अनुमति मिलने से साधु संतों सहित धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक संगठनों से जुड़े स्थानीय लोगों ने इस पर खुशी जताई है। संतों के स्नान को लेकर यहाँ स्वागत की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है ।
नपा अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल की अध्यक्षता में बीते गुरुवार को संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने देवप्रयाग में आयोजित होने वाले गंगा स्नान को लेकर स्थलीय निरीक्षण किया। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत गोपाल गिरि ने कहा कि कुंभ मेला प्रशासन द्वारा देवप्रयाग संगम में मकर संक्रांति के पर्व पर साधु संतों को पहली बार स्नान की अनुमति दी गई है। जिसे लेकर षड्दर्शन साधु समाज द्वारा वर्तमान राज्य सरकार से पत्र व्यवहार किया गया।
त्रिवेंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए साधु संतों को प्रथम स्नान की अनुमति मकर संक्रांति को देवप्रयाग संगम व दूसरे स्नान के लिए संतों को बसंत पंचमी को ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर अनुमति दे दी है। गोपाल गिरि ने बताया कि 14 जनवरी की सुबह 8 बजे संगम घाट पर साधु संतों द्वारा छड़ी पूजन के साथ मां गंगा की पूजा अर्चना की जाएगी। और फिर सभी संत गंगा में डुबकी लगाएंगे। इस मौके पर कबीर चौरा आश्रम प्रदेश अध्यक्ष महंत कपिल मुनि, पंचनाम जूना अखाड़ा के स्वामी इंदर गिरि, गौरी शंकर मंदिर के महंत राकेश गिरि, षड्दर्शन साधु समाज के महामंत्री कपिल महाराज, तीर्थ पुरोहित उत्तम भट्ट, सुभाष ध्यानी, विक्रम सिंह, एसआई हिमांशु कौशिक आदि मौजूद थे।
गौरतलब है कि प्राचीन काल में अर्द्धकुंभ व महाकुंभ देवप्रयाग के संगम पर ही लगता था, लेकिन समय काल परिस्थिति व स्थान के अभाव में महाकुंभ को हरिद्वार में स्थानांतरित कर दिया गया था।

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