किसान आंदोलन का 11वां दिन
- अब अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर बोले- कृषि कानून वापस लें, वरना खेलरत्न लौटाऊंगा
- कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति और आम आदमी पार्टी भारत बंद के पक्ष में
दिल्ली। नए किसान कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन का आज 11वां दिन है। रविवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और आम आदमी पार्टी (आप) ने 8 दिसंबर को किसानों के भारत बंद को पूरा समर्थन देने का ऐलान किया। दूसरी ओर नई रणनीति को लेकर किसान संगठनों के बीच सिंघू बॉर्डर पर अहम बैठक चल रही है। कांग्रेस ने 8 दिसंबर को होने वाले किसानों के भारत बंद के समर्थन का ऐलान किया। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बताया कि हम आंदोलन के सपोर्ट में अपनी पार्टी ऑफिस में प्रदर्शन करेंगे। इससे राहुल गांधी के किसानों के प्रति सपोर्ट को मजबूती मिलेगी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव ने भी भारत बंद के सपोर्ट की घोषणा की। इससे पहले टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा था कि पार्टी मजबूती के साथ किसानों के साथ खड़ी है और भारत बंद में उनका पूरा समर्थन करेगी। पंजाबी सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ द्वारा किसानों को एक करोड़ रुपए की मदद करने की खबर सामने आई है।
ओलंपिक मेडलिस्ट विजेंदर सिंह ने सिंघू बॉर्डर पहुंचकर किसान आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार काला कानून वापस नहीं लेती, तो मैं अपना राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार वापस कर दूंगा।
मुंबई में शिरोमणि अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि उद्धव ने आंदोलन के दौरान किसानों के सभी कार्यक्रमों में समर्थन करने का भरोसा दिलाया है। वह दो हफ्ते बाद दिल्ली में होने वाली बैठक में भी हिस्सा लेंगे। उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन की बात भी कही है।
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संरक्षक शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए। यह आंदोलन सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा। अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर विचार नहीं किया, तो पूरे देश के किसान सरकार के खिलाफ खड़े हो जाएंगे।
इससे पहले शुक्रवार को किसानों ने कहा कि अगर तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसानों ने सभी टोल प्लाजा पर कब्जे की भी चेतावनी दी है। शुक्रवार को किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा- आने वाले दिनों में दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के संदीप गिड्डे ने कहा, ‘शनिवार को किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत में हमने चेतावनी दी कि अगर कानून वापस नहीं हुआ, तो किसान मीटिंग का बायकॉट कर देंगे। इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल और राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करेंगे। इसके बाद उनकी अध्यक्षता में कैबिनेट इस बारे में फैसला करेगी।’
आंदोलन के 10वें दिन शनिवार को किसान नेताओं के साथ सरकार दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक हुई। 5वें दौर की बैठक के बाद भी सरकार और किसानों के बीच बात नहीं बनी और सरकार ने अपना प्रस्ताव तैयार करने के लिए 4 दिन और मांगे थे। अब अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी।
बैठक के दौरान किसान नेता 3 सवालों पर हां या ना में जवाब जानने के लिए अड़ गए। उधर, बैठक के बाद सरकार कहने लगी कि हम हर गलतफहमी दूर करने को तैयार हैं, लेकिन किसान सुझाव दे देते तो अच्छा रहता। दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई मीटिंग में 40 किसान नेता पहुंचे थे। बैठक के दौरान कई बार किसान तल्ख हो गए। जब चार घंटे की बैठक हो गई, तो आखिरी एक घंटे में किसानों ने मौन साध लिया। मुंह पर उंगली रखकर बैठ गए। उन्होंने सरकार से तीन सवाल पूछे और हां या ना में जवाब मांगा। कहा- सरकार बताए कि वह कृषि कानूनों को खत्म करेगी या नहीं? एमएसपी को पूरे देश में जारी रखेगी या नहीं? और नए बिजली कानून को बदलेगी या नहीं?
बैठक के दौरान एक बार बात इतनी बिगड़ गई कि किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी मांगें पूरी करे, नहीं तो हम मीटिंग छोड़कर चले जाएंगे।
किसानों ने सरकार से कहा कि हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते। इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसानों को नहीं। उन्होंने कहा कि हम पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। हमारे पास एक साल की व्यवस्था है। अगर सरकार यही चाहती है तो हमें कोई दिक्कत नहीं। लंच ब्रेक में किसानों ने आज भी सरकारी खाना नहीं, बल्कि अपना लाया हुआ खाना ही खाया। वे पानी और चाय तक साथ लाए थे।