किसानों ने थाली बजाकर किया ‘मन की बात’ का विरोध

किसान आंदोलन का 32वां दिन

  • टिकरी बॉर्डर पर एक और किसान ने जहर खाकर की आत्महत्या
  • सुसाइड से पहले किसान ने प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र भी छोड़ा
  • किसानों ने कहा- आंदोलन को बदनाम करना बंद करे मोदी सरकार

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान 32 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं। किसानों ने आज रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का विरोध थाली बजाकर किया। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जैसे पीएम ने कहा था कि कोरोना थाली बजाने से भागेगा, उसी तरह किसान भी थाली बजा रहे हैं ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए।
उन्होंने कहा, यह सरकार के लिए संकेत है कि सरकार जल्द सुधर जाए। 29 दिसंबर को हम सरकार के साथ मुलाकात करेंगे। नया साल सबके लिए शुभ हो और अगर मोदी जी भी कानून वापस ले लें, तो हम किसान भाइयों के लिए भी नया साल शुभ हो जाएगा। वहीं, क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं।
उधर टिकरी बॉर्डर पर पंजाब के एक और किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड से पहले किसान ने प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र भी छोड़ा है। पत्र का कुछ हिस्सा टाइप किया जबकि कुछ हिस्सा पेन से लिखा गया है। फिलहाल पुलिस पहले से टाइप करके लाए गए इस पत्र की जांच कर रही है। अब तक इस आंदोलन में 30 से ज्यादा किसानों की मौत आत्महत्या और ठंड की वजह से हो चुकी है।
सुसाइड करने वाले किसान की पहचान फाजिल्का के अमरजीत सिंह के रूप में हुई है। वह किसान होने के साथ-साथ वकील भी थे। मोदी को लिखे खत में उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री कुछ लोगों के ही बनकर रह गए। तीनों कृषि बिल किसान, मजदूर और आम आदमी का जीवन तबाह कर देंगे। किसानों, मजदूर और आम आदमी की रोजी-रोटी मत छीनो।
आंदोलन से लौटे होशियारपुर के किसान की हार्टअटैक और तलवंडी साबो के किसान की ठंड से मौत हो गई। एक महीने से कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली किसान आंदोलन में गए होशियारपुर जिले के गांव रड़ा के एक किसान की घर वापसी के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। मृतक किसान की पहचान भूपिंदर सिंह पुत्र मोहन सिंह (48) निवासी रड़ा के रूप में हुई है।
उधर तलवंडी साबो के गांव भागीवांदर के गुरप्यार सिंह (61) की ठंड लगने से शुक्रवार देर रात घर में मौत हो गई। वह 20 दिनों से टिकरी बार्डर पर सेवा निभा रहे थे। मोर्चे में रहते ही ठंड लग गई। गुरुवार को हालत गंभीर होने पर घर लाया गया, जहां शुक्रवार देर रात उनका देहांत हो गया।
इससे पहले शनिवार को किसान संगठन सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया था कि बातचीत फिर शुरू की जाएगी। किसानों ने सरकार से मीटिंग के लिए 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे का वक्त दिया है, लेकिन 4 शर्तें रखी हैं।

किसानों की शर्तें
1. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो।
2. मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे।
3. कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू न हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए।
4. इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
किसानों ने सरकार को जो चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा कि सरकार को पिछली मीटिंग्स के बारे में गलत जानकारी नहीं फैलानी चाहिए। सरकार की पूरी मशीनरी ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की जो मुहिम छेड़ रखी है, उसे तुरंत बंद करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here