बूझो तो जाने…
- अगर कांग्रेस मनीष को गढ़वाल सीट का टिकट दे देती है तो जनरल खंडूड़ी भाजपा प्रत्याशी का प्रचार करेंगे या अपने बेटे का?
- जिंदगी के आखिरी पड़ाव में सियासी चक्रव्यूह में फंसे जनरल साहब पर प़ुत्र का करियर या पार्टी में कमाई प्रतिष्ठा में से एक को चुनने का दबाव
देहरादून। आज शनिवार की राहुल की रैली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी कांग्रेस में शामिल हो ही गये। इसके साथ सियासी हलकों में अब ये चर्चायें तेज हो गई हैं कि अगर कांग्रेस उनके बेटे को गढ़वाल सीट का टिकट दे देती है तो वह भाजपा प्रत्याशी का प्रचार करेंगे या अपने बेटे का? अब उनके इम्तिहाल की वो घड़ी आ गई है जिसमें उन्हें प़ुत्र या पार्टी में कमाई प्रतिष्ठा में से एक को चुनना ही होगा।
उल्लेखनीय है कि मनीष तो राजनीति में नौसिखिये हैं और उनके खाते में एक खांटी भाजपा नेता का पुत्र होने के अलावा कोई और खासियत नहीं है। उनके इस कदम से सारी उम्र कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने वाले उनके पिता जनरल खंडूड़ी के सामने एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआं की स्थिति पैदा हो गई है। अपनी उम्र और राजनीति के आखिरी पड़ाव में जनरल साहब ऐसे दोराहे पर खड़े हो गये हैं जहां उन्हें अपने बेटे के करियर और पार्टी के निष्ठावान समर्पित नेता के रूप में कमाई जीवनभर की प्रतिष्ठा में से एक को चुनना है।
राजनीति में यह बात आम है कि चुनाव के समय टिकटों के दावेदार किसी न किसी तरह टिकट हथियाने के लिये पूरी जान झोंक देते हैं। इसके लिये साम, दाम, दंड, भेद के साथ ही सभी तरीके अपनाये जाते हैं। जैसे—जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे—वैसे टिकटों के दावेदार टिकट पाने के लिये जुगत भिड़ाने में जुट गये हैं। गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी अधिक उम्र के चलते औरस्वास्थ्य कारणों से चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। उनके इस बयान ने कई प्रत्याशियों की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं।
हालांकि चुनाव लड़ने की अनिच्छा जताने के बावजूद खंडूड़ी बरसों से काबिज अपनी विरासत किसी गैर को सौंपने के लिये तैयार नहीं दिख रहे। इसलिये वह अपनी पुत्री ऋतु खंडूड़ी को भाजपा के टिकट पर यमकेश्वर से विधायक बनवा चुके हैं। जिसके लिये उन्होंने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए लगातार दो बार यमकेश्वर की विधायक रही विजया बड़थ्वाल का टिकट कटवाकर अपनी बेटी को टिकट दिलवाया था। अब जबकि खंडूड़ी शारीरिक रूप से अगला चुनाव लड़ने के योग्य नहीं दिख रहे तो यह माना जा रहा था कि वह अपनी लोकसभा सीट को अपने पुत्र मनीष खंडूड़ी के लिये तैयार करने में लग गये हैं, लेकिन आज शनिवार को राहुल की रैली में मनीष के शामिल होने से वह एक धर्मसंकट में घिर गये हैं।
हालांकि कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी मनीष खंडूड़ी के सामने सुरेंद्र सिंह नेगी, शूरवीर सिंह सजवाण, गणेश गोदियाल व राजेंद्र भंडारी जैसे दिग्गज कांग्रेसियों के होते गढ़वाल संसदीय सीट का टिकट मिलने की राह बड़ी पथरीली है। उधर भाजपा ने एक फौजी जनरल होने के नाते खंडूड़ी को पहली बार गढ़वाल सीट से लोकसभा का टिकट दिया था और तबसे पार्टी उन्हें कई बार अपना प्रत्याशी बना चुकी है। जिस पार्टी ने उन्हें विधायक, सांसद, मुख्यम़ंत्री और केंद्रीय मंत्री बनाया तथा उनकी पुत्री को भी मोदी लहर में टिकट देकर विधायक बनाया, उसी पार्टी की धुर विरोधी पार्टी में उनके बेटे के जाने से जनरल खंडूड़ी उम्र के आखिरी पड़ाव में एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस गये हैं जिसमें उनकी उम्र भर की कमाई प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है।
इस समय उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर कांग्रेस उनके बेटे को गढ़वाल सीट का टिकट दे देती है तो वह भाजपा प्रत्याशी का प्रचार करेंगे या अपने बेटे का? अब उनके इम्तिहान की वो घड़ी आ गई है जिसमें उन्हें प़ुत्र या पार्टी में से एक को चुनना ही होगा। इस समय वह दो नावों में सवारी नहीं कर सकते। इससे लग रहा है कि उनके एक ओर खाई है तो दूसरी ओर कुआं। देखना यह है कि जंग के मैदान में कई फतह हासिल करने वाले जनरल साहब इस सियासी जंग में क्या इन हालात में अपनी उम्रभर की कमाई प्रतिष्ठा बचा पायेंगे या नहीं!