‘आंख- नाक’ बना EMISAT !

  • इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक इंटेलिजेंस उपग्रह समेत 29 सैटेलाइटों को उनकी कक्षा में किया स्थापित

 दूसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री और महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य जिन्हें कौटिल्‍य भी कहा जाता है, के विचारों से प्रेरित होकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने आज सुबह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक इंटेलिजेंस (ईएमआई) उपग्रह समेत 29 सैटेलाइटों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया। इन उपग्रहों में सबसे खास ईएमआई सैटेलाइट है जिसे अंतरिक्ष में भारत की ‘आंख और कान’ बताया जा रहा है। कौटिल्य ने कहा था कि गुप्तचर किसी भी राष्ट्र की आंख और नाक होते हैं। गुप्तचर विभाग की बिना मजबूती के राष्ट्र मजबूत नहीं हो सकता।
 इसरो के मुताबिक विद्युत चुंबकीय स्‍पेक्‍ट्रम को मापने वाले ईएमआई उपग्रह को सुबह 9.44 मिनट पर कक्षा में स्‍थापित कर दिया गया। 
दूसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व के महान कूटनीतिज्ञ कौटिल्‍य के विचारों से प्रेरित होकर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ने ‘प्रोजेक्‍ट कौटिल्‍य’ शुरू किया था। जानकारों के मुताबिक करीब आठ वर्षों की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने 436 किलोग्राम वजनी ईएमआई उपग्रह को बनाने में सफलता हासिल की है। इसे डीआरडीओ की हैदराबाद लैब ने ‘प्रोजेक्‍ट कौटिल्‍य’ के तहत बनाया है। इसे बनाने का उद्देश्‍य रेडार नेटवर्क की निगरानी करना है।
ईएमआई सैटेलाइट के महत्‍व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने इसके बारे में बहुत ज्‍यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। विशेषज्ञों के मुताबिक कि ईएमआई उपग्रह इजरायल के प्रसिद्ध जासूसी उपग्रह ‘सरल’ पर आधारित है। ये दोनों ही सैटेलाइट एसएसबी-2 प्रोटोकॉल को फॉलो करते हैं। यह प्रोटोकॉल भारत जैसे विशाल देश में इलेक्‍ट्रानिक निगरानी क्षमता के लिए बेहद जरूरी है।
ईएमआई सैटेलाइट में रेडार की ऊंचाई को नापने वाला डिवाइस एल्टिका लगा है जिसे डीआरडीओ के प्रोजेक्‍ट ‘कौटिल्‍य’ के तहत विकसित किया गया है। इस उपग्रह की सबसे बड़ी खासियत सिग्‍नल की जासूसी करना है। इसमें जमीन से सैकड़ों किलोमीटर की ऊंचाई पर रहते हुए जमीन पर संचार प्रणालियों, रेडार और अन्‍य इलेक्‍ट्रानिक उपकरणों से निकले सिग्‍नल को पकड़ना है। यह जासूसी उपग्रह बर्फीली घाटियों, बारिश, तटीय इलाकों, जंगल और समुद्री की लहरों को बहुत आसानी नापने की क्षमता रखता है।
भारत ने कुछ दिन पहले 300 किमी दूर अंतरिक्ष में अपने एक लाइव सैटेलाइट को मिसाइल से मार गिराया था। इस परीक्षण से भारत ने अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्‍तान को संदेश दिया था कि वह अंतरिक्ष में किसी भी दुस्‍साहस का जवाब देने में सक्षम है। अब ईएमआई उपग्रह के जरिए भारत ने अंतरिक्ष में एक ऐसी ताकत हासिल कर ली है जो जंग के मैदान का नक्‍शा ही बदल सकता है।

किसी भी देश के साथ युद्ध की सूरत में सबसे जरूरी होता है कि दुश्‍मन देश के रेडार को ढूंढकर उसे नष्‍ट करना ताकि उस पर हवाई हमला करते समय एयर डिफेंस सिस्‍टम उसके विमानों को निशाना न बना सकें। EMISAT इस काम को बखूबी अंजाम दे सकता है। EMISAT पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्‍तान में चल रही है गतिविधियों पर भी निगरानी रखने में सक्षम है। इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में निगरानी रखना अब और आसान हो जाएगा। कुल मिलाकर कहें तो EMISAT अंतरिक्ष में भारत की आंख और कान बनने जा रहा है।

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