अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले वर्ष ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद ईरान से तेल खरीदने के लिए 8 देशों को छह महीने की जो छूट दी गयी थी जो कि 1 मई को समाप्त हो रही है। अमेरिका ने किसी भी देश के लिए इस अवधि को बढ़ाने से इन्कार कर दिया है। इसमें भारत, चीन और जापान समेत 8 देश शामिल हैं। तेल आयत की छूट का लाभ उठा रहे सभी देशों ने अमेरिका के इस फैसले की आलोचना की है, हालांकि अमेरिका ने कहा कि वह और उसके सहयोगी देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कमी नहीं होने देंगे।
भारत का 12% कच्चा तेल आयत ईरान से होता है जिसे अब दूसरे देशों से खरीदने का इंतजाम करना होगा। भारत सरकार पहले ही सउदी अरब, इराक और अमेरिका से इस कमी को पूरा करने की बातचीत शुरू कर चुकी है। अमेरिका के इस कदम से आने वाले हफ़्तों में घरेलू बाजार में पेट्रोल व डीजल की कीमतों बढ़ सकती हैं। ईरान पर प्रतिबन्ध के चलते कच्चे तेल की वैश्विक कीमत भी बढ़नी शुरू हो गई है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 74.31 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है जो पिछले छह महीनों का उच्चतम स्तर है।
इस बारे में विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वे हालात की समीक्षा कर रहे हैं और उचित समय पर बयान जारी करेंगे। सूत्रों का कहना है कि वे भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले दूसरे देशों के साथ लगातार संपर्क में है और तेल आपूर्ति में कोई बाधा नहीं होगी।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही सऊदी अरब की कंपनी सऊदी-अरम्को ने भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल कारोबार में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश की है।