त्रिवेंद्र बोले- कहा था न, सब बदल देंगे और बदल दिये!

सचिवालय में मचा हड़कंप

  • अब मुख्यमंत्री ने बांचनी शुरू की फाइलों पर कुंडली मारे बैठे बाबुओं की ‘कुंडली’  
  • सालों से एक ही विभाग में जमे समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी हटाये
  • उनके विभागों में किया फेरबदल, कुल 39 सचिवालय कर्मियों को किया इधर से उधर
  • अब इनसे बड़े ‘बाबुओं’ की खेप को भी इधर से उधर किये जाने की हो रही तैयारी  

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गत दिनों सचिवालय में हो रही मनमानी और जानबूझकर फाइलों पर कुंडली मारे बैठे अधिकारियों के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई थी। इसके बाद सचिव स्तर की बैठक में उन्होंने साफ कहा था कि ऐसे लापरवाह स्टाफ को तुरंत वहां से हटाकर किसी और विभाग में भेजा जाए। उनकी फटकार अब रंग दिखा रही है और आज शुक्रवार को सचिवालय में बड़ा फेरबदल कर दिया गया है। कई सालों से एक ही विभागों में जमे समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारियो के विभागों में फेरबदल कर दिया गया है। आज 39 सचिवालय कर्मियों को इधर से उधर किया गया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने आज शुक्रवार सांय तक कई अनुभागों में बड़े फेरबदल करने के निर्देश दिये थे, लेकिन शासन ने आज सुबह ही 39 सचिवालय कर्मियों ट्रांसफर नोटिस थमा दिये। सूत्रों के अनुसार अब इनसे बड़े ‘बाबुओं’ की खेप को भी इधर से उधर किये जाने की तैयारी हो रही है। सत्ता के केंद्र बने सचिवालय में अब फाइलों पर कुंडली मारे बैठे बाबुओं की ‘कुंडली’ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ‘बांचने’ की ठान ली है क्योंकि उत्तराखंड के विकास पर प्रशासनिक व्यवस्था के कंट्रोल रूम सचिवालय का परंपरागत ‘निठल्लापन’ भारी पड़ रहा है। बाबुओं के ‘शहंशाही’ स्टाइल के चलते फाइलों पर कार्यवाही की रफ्तार बेहद सुस्त है। इससे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खासे नाराज हैं।

मुख्यमंत्री ने शासन के सभी सचिवों से उनके विभागों से जुड़े अनुभागों की फाइलों का ‘हिसाब’ लेने के बाद साफ कहा था कि जिन अनुभागों में फाइलों पर कार्यवाही का रिकॉर्ड खराब होगा, वहां तैनात कार्मिकों को उन्होंने ताश के पत्तों की मानिंद फेंटने का मन बना लिया है और आज शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने अपनी बात को सच कर दिखाया। इससे सचिवालय में हड़कंप मचा है और ये चर्चायें हवा में तैरने लगी हैं कि अब किसकी बारी है।
उल्लेखनीय है कि प्रशासन के सर्वोच्च शिखर सचिवालय में बैठे नौकरशाहों को सबसे अधिक सुविधायें और वेतन दिया जाता है। इसके बावजूद वे जनहित और विकास से जुड़ी योजनाओं की फाइलों पर कुंडली मारे बैठे रहते हैं। अक्सर विकास संबंधी नीतियों व योजनाओं की फाइलें इन विभागों के मंत्रालयों व अनुभागों में फंस कर रह जाती है। जिन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है और आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही जनता के सामने सरकार को भी जवाब देना भारी हो जाता है
गत दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जब मुख्यमंत्री के आदेश देने के बावजूद बाबू 14 महीने तक उस फाइल को दबाये बैठे रहे। इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को हुई तो उनके आदेश पर लोक निर्माण विभाग के सभी बाबुओं को बदल दिया गया। अब फाइलों पर होने वाली कार्यवाही की स्थिति जांचने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने खुद ही संभाल ली है।

बेवजह फाइलें दबाकर बैठने वालों के मामले में मुख्यमंत्री ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिन अनुभागों में फाइलों का रिकॉर्ड खराब पाया गया है, वहां तैनात स्टाफ को हटाना शुरू कर दिया है। यह तो पहली खेप बताई जा रही है।
बेवजह महीनों तक फाइल लटकाने के मामले में कई और अनुभाग सरकार के निशाने पर है। जांच चल रही है, यदि फाइल में देरी की कोई तार्किक वजह नहीं मिली तो इन अनुभागों में तैनात पूरे स्टाफ को बदल दिया जाएगा। फाइलों के मामले में सचिवालय का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सचिवालय की कार्य प्रणाली पर अपनी व्यथा जाहिर की थी कि उनकी फाइलों की जलेबी बना दी जाती है।
इस बाबत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बस बहुत हो गया। सचिवालय में फाइलों को लेकर मैंने सभी सचिवों की बैठक बुलाई थी। इसमें उनके अनुभागों की फाइलों के बारे में जानकारी ली गई। जिन अनुभागों में बिना किसी कारण के फाइलों को लंबे समय तक लटकाने के मामले में मिले हैं, उन पर कार्रवाई की गई है और शिकायतें मिलने पर आगे भी कार्रवाई की जाएगी। अब किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 

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