एंटी-टीबी टैबलेट, एंटीबायोटिक्स दवायें और पेनकिलर भी लिवर के लिये खतरा
एल्कोहल और हेपेटाइटिस ए, बी या सी के वायरस भी डैमेज कर सकते हैं लिवर
जिम में दिए जाने वाले बॉडी बिल्डिंग प्रोटीन भी हैं लिवर के लिये खतरनाक
नई दिल्ली। एलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट से बचने के लिए लोक हर्बल दवाओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि बिना विशेषज्ञों की सलाह के इन दवाओं के प्रयोग लिवर को खराब कर सकता है। आजकल जिमों में बॉडी बनाने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट से भी लिवर फेल होने की शिकायतें मिल रही हैं। एक लिवर विशेषज्ञ बताते हैं कि उनके पास हर हफ्ते लिवर फेल होने के एक या दो मामले आते हैं जिनके पीछे हर्बल दवाएं, एंटी टीबी दवायें, बॉडी बिल्डिंग प्रोटीन सप्लिमेंट, पेनकिलर और एंटीबायॉटिक्स का हाथ होता है। अन्य कई विशेषज्ञों की सलाह है कि लंबे वक्त तक किसी दवा के इस्तेमाल करने में सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि ज्यादातर ऐसी दवाओं से होने वाले नुकसान का पहला शिकार लिवर होता है। जो फैटी लिवर और एल्कोहल या हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी की वजह से बीमार है, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। शोध के नतीजे बताते हैं कि ऐसी दवाओं से उनका लिवर तेजी से डैमेज होता है और लिवर फेल होने से आधी मौतों के पीछे यही जिम्मेदार होते हैं।लिवर हमारे रक्त की संरचना को नियंत्रित करता है, उसमें से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और आंतों द्वारा भोजन में से अवशोषित किये गए पोषक पदार्थों को शरीर के उपयोग करने लायक बनाता है। फास्ट फूड और ख़राब जीवनशैली से लिवर पर भार लोड बढ़ता है, जिससे यह जहरीले पदार्थों और फैट को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता। इसके कारण शरीर में मोटापा, दिल की बीमारी, लंबी थकान, सिरदर्द, पाचन में गड़बड़ी, एलर्जी और अन्य बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में लिवर को साफ, ऐक्टिव और जहरीली चीजों से मुक्त रखने के लिए अपने खाने पीने की चीजों में लहसुन, चकोतरा, चुकंदर, नींबू पानी और हल्दी को भी विशेष रूप से शामिल करना चाहिये। एक गिलास पानी में एक चौथाई चम्मच हल्दी डालकर गर्म करें। इसका सेवन रोज दिन में 2 बार करें।