हरदा और प्रीतम की अग्नि परीक्षा!

  • इस बार के लोकसभा चुनाव कांग्रेस के इन दोनों कद्दावर नेताओं का तय करेंगे कद
  • अपनी – अपनी सीट जीतने के साथ ही कांग्रेस के अन्य प्रत्याशियों को जिताने की भी जिम्मेदारी

देहरादून। इस बार के लोकसभा चुनाव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिये खास मायने रखते हैं क्योंकि अपनी नैनीताल संसदीय सीट से जीत हासिल करने की कसौटी पर खरा उतरना उनके सियासी सफर का टर्निंग प्वाइंट साबित होगा। वह भी इस कारण क्योंकि गत विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुए उनका दोनों सीटों – किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव हार जाने से उनकी साख को धक्का लगा था। हालांकि हरीश रावत इतनी बड़ी हार के बाद भी न केवल खुद को मेन स्ट्रीम में लाये बल्कि युवाओं के भी मार्गदर्शक बने रहे।
इसी तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के लिये भी यह संसदीय चुनाव अहम हैं क्योंकि वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश की अन्य चार सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को चुनाव जिताने में भी अपना रोल अदा करना है। हालांकि उनका सियासी करियर काफी लंबा है। वह पांच बार विधायक बन चुके हैं और पहली बार वर्ष 2002 में नारायण दत्त तिवारी की सरकार में वह कैबिनेट मंत्री बने और वर्ष 2012 में कांग्रेस सरकार में फिर कैबिनेट मंत्री रहे। प्रीतम सिंह इन चुनाव को लेकर काफी गंभीर हैं। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि परिवर्तन यात्रा के दौरान टिहरी लोकसभा क्षेत्र के गांव-गांव में वह पहुंच बना चुके हैं। हालांकि टिहरी लोकसभा सीट टिहरी राजघराने की विरासत रही है और इस बार भी टिहरी राजघराने की निवर्तमान सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में प्रीतम सिंह के लिये यह चुनाव अग्नि परीक्षा बनने जा रहा है।    
हॉट सीट नैनीताल का चुनावी मुकाबला रोमांचक होता नजर आ रहा है। एक तरफ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अजय भट्ट चुनावी संग्राम में मोर्चा संभाले हुए हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं। दोनों ही राज्य की राजनीति में खास मुकाम रखते हैं। सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हैं।
 तराई-भाबर व पर्वतीय क्षेत्र की नैनीताल लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से 17 सांसद चुने जा चुके हैं। इनमें से 12 सांसद कांग्रेस से जीते हैं। यहां से भाजपा के केवल तीन सांसद ही जीत सके हैं। भारतीय लोक दल व जनता दल से भी एक-एक सांसद जीते हैं।

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