कुंभ जांच फर्जीवाड़ा : क्रॉस चेकिंग में सामने आ रहा बड़ा गड़बड़झाला!

सब गोलमाल है…

  • 50 हजार रिपोर्टों का ही 15 दिन में हो पाया सत्यापन
  • गंभीर गड़बड़ियां सामने आने से बढ़ाई जांच की अवधि

हरिद्वार। कुंभ मेले में कोविड टेस्टिंग के कथित फर्जीवाड़े की जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आने और नए-नए मामले जुड़ने से निर्धारित अवधि में जांच पूरी नहीं हो सकी है। आरोपियों के बयानों में भी समानता नहीं है। कोविड की 50 हजार रिपोर्ट की क्रॉस चेकिंग में कई फर्जी नाम, पते और मोबाइल नंबर सामने आए हैं। ऐसे में जिलाधिकारी ने जांच की अवधि एक सप्ताह बढ़ा दी है।
सीडीओ सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय टीम को 15 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपनी थी।
सीएमओ हरिद्वार की ओर से कोविड टेस्टिंग फर्जीवाड़े में मैक्स कॉरपोरेट सर्विस, नलवा लैब और डॉ. लाल चंदानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। एसएसपी ने जांच के लिए एसआईटी भी गठित की है। स्वास्थ्य विभाग भी जांच करवा रहा है। सीडीओ की अध्यक्षता में कथित फर्जीवाड़े की जांच चल रही है।
शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने 12 जून को सीडीओ सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। कमेटी को 15 दिन में जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपनी थी। जांच कमेटी सीएमओ स्वास्थ्य डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर, सीएमओ हरिद्वार डॉ. एसके झा के अलावा स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारियों और आरोपियों के बारी-बारी से बयान दर्ज करवा चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक बयानों में समानता नहीं है। जांच में कई अनसुलझे तथ्य सामने आए हैं। गहनता से इनकी पड़ताल की जा रही है। जिलाधिकारी सी रविशंकर के मुताबिक दोनों लैब की जांच रिपोर्ट का सत्यापन भी किया जा रहा है। जिन लोगों की जांच हुई है, उनके मोबाइल पर संपर्क किया जा रहा है। जिलाधिकारी के मुताबिक 50 हजार जांच रिपोर्ट का सत्यापन हो चुका है। जांच में कई नए मामले सामने आ रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि सत्यापन में फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। उन लोगों की जांच दर्शायी गई है जो कुंभ अवधि में हरिद्वार आए ही नहीं। कई एंट्री में एक ही नाम और पता दर्ज किया गया है। जांच में गंभीर अनियमितताएं मिलने पर जांच अवधि का समय हफ्ते भर बढ़ाया गया है।
जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने बताया कि इस फर्जीवाड़े की जांच में नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। इनकी गहनता से पड़ताल की जा रही है, इसलिए निर्धारित समय अवधि में जांच पूरी नहीं हो सकी। जांच अवधि को हफ्ते भर बढ़ाई गई है। आरोपियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बयान दर्ज हो चुके हैं। अभी तक 50 हजार रिपोर्ट का सत्यापन भी हो चुका है। मामले में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।  

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