ये हैं ‘उज्याड़ खांणी बल्द’ और ‘एकलू बानर’!

  • उत्तराखंड के बड़े नेता एक-दूसरे पर कस रहे लोकभाषा के मुहावरों से तंज
  • हरीश रावत ने भगत सिंह कोश्यारी को बताया ‘उज्याड़ खांणी बल्द’ 
  • भगतदा ने हरीश को ‘एकलू बानर’ यानी अपने झुंड से अलग रहने वाला बंदर कहा 
  • इस पर पलटवार करते हुए हरदा ने फिर भगत सिंह कोश्यारी को बताया ‘भीगा घुघुता’ 

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां चरम पर हैं। इसी बीच हरदा और भगतदा ने एक दूसरे पर पहाड़ी लोकसंस्कृति के प्रचलित मुहावरों से प्रहार किये। गौरतलब है कि हरीश रावत और भगत सिंह कोश्यारी दोनों ही सुलझे और मंझे हुए जमीन से जुड़े नेता हैं। दोनों की अपनी—अपनी पार्टी में खासी प्रतिष्ठा है और दोनों ही पहाड़ की जनता में लोकप्रिय हैं। ऐसे में हरीश रावत द्वारा भगत सिंह कोश्यारी को ‘उज्याड़ खांणी बल्द’ (दूसरों की फसल चरने वाला बैल) बताना और भगतदा का हरदा को ‘एकलू बानर’ (अकेले रहने वाला बंदर) बताने के बाद हरदा ने उन्हें अब ‘भिजी घुघुत’ (भीगा हुआ कबूतर प्रजाति का घुघुता नाम का पहाड़ी पक्षी) बताते हुए तंज कसा है। राजनीतिक विश्लेषक अब इनका निहितार्थ तलाश रहे हैं। 
हरीश ने पहले कोश्यारी को ‘उज्याड़ खांणी बल्द’ कहा। यह उपमा ऐसे बैल के लिये प्रयुक्त की जाती है जो दूसरे की फसल चरता है। तो सवाल उठता है कोश्यारी किसकी फसल चरने आये हैं। ऐसा लगता है डा. महेंद्र पाल के नैनीताल से चुनाव लड़ने की घोषणा होते-होते कोश्यारी के चुनाव मैदान से हटने पर स्वयं रावत नैनीताल के मैदान में डा.पाल की फसल चरने आ गये हैं। 
वहीं दूसरे कोश्यारी द्वारा रावत को दी गई उपमा के एक अर्थ में हरीश रावत अकेले नजर आते हैं और इस अर्थ में उन्हें एकलू बानर कहा जा सकता है। किंतु एकलू बानर काफी मजबूत होता है। ऐसे में जाने-अनजाने कोश्यारी रावत को मजबूत भी बता गये हैं। खास बात यह भी है कि लोकभाषा से जुड़े शब्द होने के कारण ये शब्द पहाड़ की जनता में चर्चा का विषय बने हैं। हालांकि साहित्यकार इसे अच्छा भी मान रहे हैं कि पर्वतीय राज्य के चुनाव में ‘पर्वतीय उपमाओं’ का प्रयोग किया जा रहा है। यह प्रदेश की लोक भाषाओं के संरक्षण के लिए प्रयासरत लोगों के लिए सुखद है। कम से कम इस तरह से प्रदेश के राजनेता जनता से जुड़ने के लिए लोक संस्कृति के प्रतिमानों का प्रयोग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि घुघुता पहाड़ पर पाया जाने वाला कबूतर प्रजाति का पक्षी है। यह कुमाऊंनी लोक सभ्यता व संस्कृति के साथ लोकगीतों में गहरा प्रभाव रखता है। राजनीतिक विश्लेषक इन मुहावरों के निहितार्थ तलाशने में जुटे हैं।
इसी संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि हरीश रावत ने भगत सिंह कोश्यारी के नैनीताल से चुनाव लड़ने की स्थिति में हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतरने की बात कही थी और भगतदा के चुनाव न लड़ने पर नैनीताल से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी जिसका नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने आलाकमान के सामने विरोध दर्ज कराया था। अब हरदा नैनीताल से चुनाव मैदान में हैं। 

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