• हताश हरक को छठे दिन भी नहीं मिली ठौर, कहा- आज तय करूंगा कि किस मोर्चे से लडूंगा चुनाव

देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में इस समय हरक प्रकरण पर सभी की निगाहें टिकी हैं। ‘मोलभाव’ पर उतारू हरक सिंह रावत को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एकाएक ‘धोबी पछाड़’ दांव से इस तरह ‘चित’ कर दिया कि आज शुक्रवार को छठे दिन भी उन्हें ठौर नहीं मिल पाई है। न तो कांग्रेस ने उन्हें कोई तरजीह दी है और न ही भाजपा में कोई बड़ा नेता उनके समर्थन में आगे आया है।  
भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है कि बाजार का दस्तूर है जनाब, जो बिक गया वो खरीदार नहीं हो सकता। हरक ने प्रेशर पॉलिटिक्स अपनाकर भाजपा में अपने लिये कोई जगह नहीं छोड़ी है। हरक के कारण आला कमान और मुख्यमंत्री धामी को कई बार असहज  परिस्थितियों से रूबरू होना पड़ा। इसके साथ ही कांग्रेस में हरीश रावत की बहुमत की सरकार की मिट्टी पलीद की, उससे नहीं लगता कि हरीश रावत और कांग्रेस उन्हें माफ कर पायेगी।
दूसरी ओर भाजपा से किक आउट किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वह आज शुक्रवार को तय करेंगे कि किस मोर्च से चुनाव मैदान में उतरेंगे। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उनकी भाजपा में वापसी हो रही है या फिर कांग्रेस उनका हाथ पकड़ रही है, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि अब समय कम है और नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में आज तय कर दिया जाएगा कि वह किस मोर्चे से चुनाव मैदान में उतरेंगे।
पूर्व कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत पिछले 6 दिनों से उम्मीद लगाए हुए हैं कि कांग्रेस उनका हाथ थामेगी, लेकिन अब तक हरक को हताशा और निराशा ही हाथ लगी है। हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस उन्हें पूर्व में किए का अहसास दिलाने के लिए ऐसा कर रही है। गुटबाजी के चलते कांग्रेस के कई नेता भी यही चाहते हैं कि हरक को पार्टी में शामिल कर लिया जाए। जबकि उनकी कांग्रेस में शामिल होने को लेकर जो देरी हुई है, इससे उनकी फिर से भाजपा में वापसी की भी चर्चाएं भी हैं।
बताया गया है कि हरक ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक व चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी जैसे नेताओं से बातचीत की है। पूरे प्रकरण में महाराष्ट्र के राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका भी बताई जा रही है। जिससे हरक की भाजपा में वापसी हो सकती है और उनकी पुत्रवधू अनुकृति को केदारनाथ से टिकट दिए जाने की चर्चायें भी चल रही हैं। हालांकि आगामी सप्ताह में तस्वीर साफ हो जाएगी कि हरक की नैया किस किनारे पर जाकर लगेगी।

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