- टीवी देखना हुआ दुगुने से भी ज्यादा मंहगा
- सरकार की नीतियों से बंद हुआ गरीबों का एकमात्र मनोरंजन
- मनपसंद कार्यक्रम नहीं देख पा रहे गृहणी और बच्चे
देहरादून:सरकार की नीतियों का घरेलू मनोरंजन पर खासा असर पड़ा है टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी आफ इंडिया (ट्राई) के नए नियम लागू होनेे बाद छोटे पर्दे पर परिवार के साथ कार्यक्रम देखना काफी महंगा हो गया है।
एक तरफ पहले की अपेक्षा केबल का चार्ज दुगुने से भी ज्यादा हो गया है वही दूसरी तरफ उपभोक्ताओं के सामने चैनलों का चुनाव करने में काफी माथापच्ची करनी पड़ रही है, केबल कंपनियों ने अपने—अपने हिसाब से पैकेज बना रखे है।
गरीब परिवारों के लिए टीवी का मनोरंजन महंगा होने से यह कहा जाने लगा है कि ट्राई के नियमों ने गरीबों की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। यूपीए सरकार के समय में जहां ट्राई के फैसले ने लोगों से सेट टॉप बॉक्स लगवाने के लिए 1500 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक का खर्चा करवा दिया था वहीं अब मोदी सरकार में भी ट्राई के एक नए फैसले ने गरीबों के एकमात्र मंनोरजन के साधन को छीन लिया है। ट्राई ने मनोरंजन देने वाले चैनलों की एमआरपी और पैकेज का सिस्टम लागू कर दिया है। दरअसल ट्राई के नये नियमानुसार 130 रुपये और जीएसटी मिलाकर 153 रुपये में शो चैनल दिखाए जा सकेंगे लेकिन, कौन से चैनल दिखाए जाएंगे यह बात स्पष्ट नहीं की गई है। घरेलू मनोरंजन में ज्यादातर महिलाओं को टीवी सीरियल, बच्चों को कार्टून, युवाओं को खेल और फिल्मी तथा बुजुर्गों को न्यूज़ चैनल पसंद होते हैं।
नये नियम हिसाब से कोई पैकेज ले या ना ले 18 प्रतिशत जीएसटी के बाद रुपए 153 आपको देने ही पड़ते हैं इसके बाद जिस पैकेज का चयन करेंगे उसके रेट उस में जुड़़ जाते हैं। पूरे परिवार की जरूरतों का ख्याल रखा गया तो कम से कम 500 रुपये से ज्यादा केबल ऑपरेटर को चुकाने होंगे। निर्धारित फॉर्म में आप जो चैनल या चैनलों के पैकेज का चयन करेंगे उस पर निश्चित रूप से पैकेज की राशि बढ़ती चली जाएगी। सबसे सस्ता घरेलू मनोरंजन भी मासिक बजट पर असर डाल रहा है खासकर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों इसकी मार पड़ रही है। गौरतलब है कि सरकार की नीतियों के चलते ही पूरे के देश के छोटे—छोटे थिएटर लगातार बंद होते चले गए। इनकी जगह मल्टीप्लेक्स ने ले ली है लेकिन मल्टीप्लेक्स में पिक्चर देखना आम आदमी के बस की बात नहीं है। घरेलू मनोरंजन पर भारी पड़ रहे ट्राई के नियम आने वाले समय में गरीबों की झोली में ही डाका डालते रहेगें या मोदी सरकार को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी यह आने वाला वक्त बताएगा।