गाँधी परिवार का दक्षिण भारत से है पुराना नाता

  • कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी उत्तरप्रदेश के अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

गाँधी परिवार और अमेठी
अमेठी लोकसभा सीट लगभग चार दशकों से गांधी परिवार की पारम्परिक सीट रही है। गाँधी परिवार में सबसे पहले संजय गांधी ने वर्ष 1980 में यहाँ से चुनाव जीता, उनकी मृत्यु के उपरांत उनके भाई राजीव गांधी ने वर्ष 1981 का उपचुनाव और उसके बाद 1984, 1989 और 1991 में अमेठी से चुनाव जीता। राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने वर्ष 1999 में अमेठी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल करी।
उसके बाद वर्ष 2004 में सोनिया गांधी ने अपने पुत्र राहुल गांधी के लिए यह सीट छोड़ दी और खुद रायबरेली से चुनाव लड़ा था और तब से राहुल अमेठी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
जहाँ 2004 के चुनाव में राहुल ने 2 लाख 90 हजार वोटों से और 2009 में 3 लाख 70 हजार वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी, वहीँ 2014 के चुनाव में वे स्मृति ईरानी को 1 लाख 8 हजार वोटों से ही हरा पाए थे। चुनाव में हार के बाद से ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी में काफी सक्रिय रही हैं जिससे कांग्रेस के रणनीतिकार चिंतित थे और 2019 के चुनाव में कोई जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं।
अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस की परेशानी का एक और बड़ा कारण है, गाँधी परिवार के करीबी रहे एक नेता हाजी सुल्तान खान के पुत्र हाजी हारून रशीद भी राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं। गौरतलब है कि हाजी सुल्तान खान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के चुनाव में प्रस्तावक भी रह चुके हैं, परन्तु कुछ स्थानीय नेताओं की अनदेखी से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

दक्षिण भारत में गाँधी परिवार
गांधी परिवार में राहुल की दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनकी माँ सोनिया गाँधी भी दक्षिण भारत से चुनाव लड़ चुकी हैं।
वहां से चुनाव लड़ने का कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक फायदा भी मिलता रहा है, जिसे देख कर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राहुल को अमेठी के साथ-साथ केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ने के लिए मना लिया है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी वर्ष 1977 में रायबरेली सीट से हार गयी थीं जिसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत का रुख किया और 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से उपचुनाव जीती थीं और उसके बाद 1980 में लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की मेदक सीट से चुनाव जीती थीं और दिल्ली की सत्ता में वापसी की थी।
सोनिया गांधी ने वर्ष 1998 में राजनीति में कदम रखा था और 1999 के लोकसभा चुनाव में अमेठी के साथ-साथ कर्नाटक की बेल्लारी सीट से चुनाव मैदान में उतरी थीं। सोनिया ने भाजपा नेता सुषमा स्वराज को हराया था और साथ ही कांग्रेस ने कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें जीते थी और दक्षिण भारत के अपने किले को मजबूत किया था।
राहुल गांधी ने भी इसी वजह से अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट को चुना है। केरल में 20 लोकसभा सीटों में से अभी कांग्रेस के पास 8 सीटें हैं। इस तरह से राहुल के सामने अपनी सीट जीतने के साथ ही केरल में सीटें बढ़ाने की चुनौती है।
कांग्रेस वायनाड के रास्ते दक्षिण भारत के अन्य राज्यों कर्णाटक, तमिलनाडु, आँध्रप्रदेश और तेलंगाना में भी अपनी मजबूत किलेबंदी करना चाहती है और अपने कम होते जनाधार को वापस लाना चाहती है।

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