उत्तराखंड : देहरादून और नैनीताल के चार ट्रैकर लापता

  • तीन दिन पहले केदारनाथ से त्रियुगीनारायण ट्रैक पर निकले ट्रैकिंग पर निकले थे चारों
  • तीन टीमें ट्रैकरों की तलाश में जुटीं, इसके साथ ही ड्रोन, हेलीकॉप्टर से भी की जा रही खोज 
  • रोक के बावजूद ट्रैकरों के ट्रैकिंग पर निकल जाने से सिस्टम पर उठ खड़े हुए सवाल 

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ में दर्शन के बाद वासुकीताल से त्रियुगीनारायण ट्रैकिंग रूट पर निकले देहरादून और नैनीताल के चार ट्रैकर लापता हो गए। पुलिस ने रेस्क्यू के लिए तीन टीमें गठित की हैं। एसडीआरएफ के साथ मिलकर वे ड्रोन और हेलीकॉप्टर से त्रियुगीनारायण से वासुकीताल तक दो बार हेलीकॉप्टर से रेकी भी कर चुकी है, लेकिन अभी तक ट्रैकर्स का पता नहीं चल पाया है। 
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक हिमांशु (28) पुत्र बलबहादुर सिंह, जितेंद्र भंडारी (34) पुत्र जीएस भंडारी, निवासी देहरादून और मोहित भट्ट (40) पुत्र गंगा भट्ट तथा जगदीश बिष्ट (47) पुत्र गंगा बिष्ट निवासी नैनीताल बीती 12 जुलाई को ई-पास के जरिए सोनप्रयाग से केदारनाथ दर्शन के लिए रवाना हुए थे। 13 जुलाई को मंदिर परिसर में बाबा केदार के दर्शन के बाद ये चारों युवक वासुकीताल के लिए रवाना हो गए, जहां से इन्हें त्रियुगीनारायण आना था।
यह बात उन्होंने अपने साथी शशांक डोभाल को बताई थी और उससे सोनप्रयाग में उनका इंतजार करने को कहा। देर रात तक जब ये चारों सोनप्रयाग नहीं पहुंचे तो शशांक ने सोनप्रयाग थाने में जाकर यह जानकारी दी। इसके बाद थानाध्यक्ष होशियार सिंह पंखोली ने एसपी को मामले के बारे में बताया। 14 जुलाई को चारों युवकों की खोज के लिए दो रेस्क्यू टीमें त्रियुगीनारायण से तोषी और तोषी से वासुकीताल ट्रैक के लिए रवाना की गईं, लेकिन दिनभर खोजबीन के बाद भी चारों लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पाया। 
इसके बाद 15 जुलाई बुधवार को डीडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और तोषी के पांच युवकों की तीन टीमें गठित कर वासुकीताल-त्रियुगीनारायण ट्रैक, गौरीकुंड-खरक-वासुकीताल ट्रैक और तोषी के जंगलों में भेजी गई हैं। 
थानेदार पंखोली के अनुसार गौरीकुंड-खरक-वासुकीताल पर भेजी गई रेस्क्यू टीम ड्रोन से भी रेकी कर रही है। उन्होंने बताया कि चारों लोगों ने अपने परिजनों के जो नंबर केदारनाथ रवानगी से पहले दर्ज कराए थे, उन पर संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही ट्रैकरों के मोबाइल नंबर भी सर्विलांस पर लगाए गए हैं, ताकि मोबाइल नंबर चालू होते ही लोकेशन मिल सके। 
हालांकि रोक लगे होने के बावजूद ट्रैकर्स के ट्रैकिंग पर निकल जाने से सिस्टम पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। मसलन किसी भी लेवल पर उनसे पूछताछ, चेकिंग क्यों नहीं की गई? उन्हें ट्रैक पर कैसे जाने दिया गया? 
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में बदरीनाथ-पनपतिया-मद्महेश्वर ट्रैकिंग रूट पर पश्चिम बंगाल के 11 ट्रैकर फंसे थे, जिनमें से एक की मौत हो गई थी। वर्ष 2018 जून में भी इसी रूट पर 23 सदस्यीय ट्रैकिंग दल भटक गया था। इस दौरान भी एक ट्रैकर की जान चली गई थी। इसके बाद वर्ष 2018 सितंबर में आईआईटी रुड़की का ट्रैकिंग दल गंगी से केदारनाथ पैदल ट्रैक पर भटक गया था। मनणी माई बुग्याल में भी पश्चिम बंगाल के ट्रैकर फंस गए थे। 2019 में देवरियाताल में भी एक विदेशी पर्यटक भटक गया था।
रुद्रप्रयाग की डीएम वंदना सिंह ने बताया कि हेलीकॉप्टर की मदद से क्षेत्र में दो बार रेकी की जा चुकी है। साथ ही ड्रोन से भी खोज हो रही है। समय-समय पर मामले की जानकारी ली जा रही है। उधर रुद्रप्रयाग के एसपी नवनीत सिंह ने बताया कि रेस्क्यू टीमें ट्रैकिंग रूट से लेकर जंगल तक में लापता ट्रैकर्स की खोजबीन कर रही है, लेकिन अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है। डीएफओ केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग अमित कंवर का कहना है कि प्रभागीय कार्यालय से ट्रैकिंग के लिए कोई अनुमति नहीं दी जा रही है। कोरोना संक्रमण के चलते अभी ट्रैकिंग और पर्यटन गतिविधियों पर शासन से रोक है।

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