हरदा की ‘गलतियों’ का टोकरा कब तक अपने सिर पर लिये घूमते रहेंगे त्रिवेंद्र!

सियासत की शतरंज

  • ताजा मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने हरकी पैड़ी मामले में गलती स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से फिर की गुज़ारिश
  • इससे पहले गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के त्रिवेंद्र के फैसले को लेकर मान चुके हैं अपनी सरकार की लापरवाही
  • भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंसीधर भगत ने लगाया आरोप, हरीश रावत ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए गंगा नहर को नाले में बदला

हरिद्वार। लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई तमाम ‘गलतियों’ को सुधारने का ठेका मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दे दिया है। इससे सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर चल पड़ी है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत कब तक हरदा की गलतियों का ‘टोकरा’ अपने सिर पर लेकर घूमते रहेंगे। नये घटनाक्रम में हरकीपैड़ी मामले में हरदा ने अपनी ‘गलती’ को सुधारने की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से फिर गुहार लगाई है। उधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंसीधर भगत ने आरोप  लगाया  है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए गंगा नहर को नाले में बदला था और त्रिवेंद्र सरकार को फंसाने के लिये सियासी चाल चल रहे हैं।
दूसरी ओर सियासतदां लोगों की नजरों में हरीश रावत का यह मात्र एक सियासी दांव है और ‘घोड़े की बला तबेले के सिर’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए उन्होंने ‘गेंद’ अब त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के पाले में फेंक दी है। दिलचस्प बात यह है कि आज मंगलवार को हरीश रावत ने हरिद्वार में अखाड़ा परिषद पहुंचकर 2016 में हुए उनकी सरकार के दौरान दिये गये आदेश को लेकर अपनी गलती स्वीकार की।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि एनजीटी ने गंगा तट से 200 के मीटर के दायरे में निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इससे हरिद्वार के तमाम भवनों पर ढहने का संकट आ गया था। तब तमाम लोगों ने इससे बचाव का रास्ता निकालने का आग्रह किया। इस पर उनकी सरकार ने फैसला किया कि इन भवनों को बचाने के लिए मां गंगा के प्रवाह को एक तकनीकी नाम ‘गंगनहर’ दे दिया जाए।
हरदा ने कहा कि इस आदेश से भवनों का ध्वस्तीकरण तो रुक गया, लेकिन उनसे यह भावनात्मक गलती हो गई। मां गंगा जहां भी जिस रूप में हैं वो गंगा ही हैं। हरकीपैड़ी पर भी मां गंगा अपने पूर्ण स्वरूप में प्रवाहमान हैं। सरकारें बदलती रहती हैं। यदि आज की सरकार उस वक्त की मेरी सरकार के इस फैसले (हरकीपैड़ी पर जल प्रवाह को गंगा की जगह गंगनगर नाम देना) को बदलती है तो उन्हें बेहद खुशी होगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि त्रिवेंद्र सरकार इस बाबत कोई फैसला नहीं लेती तो कांग्रेस सत्ता में आने पर अपने पुराने आदेश को बदल देगी। इस बाबत हरीश रावत का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार उस शासनादेश को वर्तमान स्थितियों को देखते हुए रद्द कर सकती है। गौरतलब है कि गंगा परिषद, अखाड़ा परिषद समेत अन्य साधु-संत पूर्व सीएम के इस फैसले के खिलाफ काफी समय से मुखर हैं।
हरिद्वार में गंगा स्कैप चैनल के मामले में प्रदेश सरकार अब पूर्व की हरीश रावत की सरकार का फैसला पलटने की तैयारी में है। पूर्व सीएम हरीश रावत मंगलवार को हरिद्वार में संतों के बीच में पहुंचे थे।
उन्होंने अखाड़ा परिषद के संतों से मुलाकात करके कहा था कि 2016 में उनकी सरकार ने गंगा की धारा के किनारे करीब 400 निर्माण बचाने के लिए ही धारा को स्कैप चैनल घोषित किया था। इसका मतलब है कि यह धारा एक नहर है जो गंगा में अतिरिक्त पानी की निकासी के काम आती है। क्योंकि एनजीटी का आदेश था कि गंगा की धारा के 200 मीटर दायरे से निर्माण हटाया जाए। हरीश रावत ने इसे भावनात्मक भूल बताया था और कहा था कि वर्तमान सरकार इस फैसले को पलटे। अब मुसीबत ये है कि इस फैसले को पलटने का मतलब है कि त्रिवेंद्र सरकार धारा के किनारे के निर्माण को हटाने के लिए तैयार है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने संतों की बात को तवज्जो दी है और हरीश रावत सरकार के समय हुए शासनादेश के रद्द करने की तैयारी में है। जल्द ही इसे लेकर सरकार फैसला कर सकती है। 
एक कैबिनेट मंत्री के मुताबिक इस विवाद से बचने का एक तरीका और भी है। सरकार हरकीपैड़ी पर धारा को गंगा घोषित करे। इससे संतों की बात भी रह जाएगी और कई निर्माण भी टूटने से बच जाएंगे। निर्माण की जद में कई आश्रम, धर्मशालाएं, होटल भी आदि आ रहे हैं। हालांकि अब सरकार को एक अन्य वर्ग को नाराज करने का खतरा उठाना होगा।

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