25 हजार करोड़ के रोशनी घोटाले में फंसे फारूक और उमर के घर भी कब्जे की जमीन पर!

सब गोलमाल है

  • जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने सरकारी जमीन कब्जा कर बनाया आलीशान बंगला
  • फारूक की बहन सुरैश ने भी रोशनी ऐक्ट के जरिये अपने नाम कराई करोड़ों की जमीन

जम्मू। जम्मू कश्मीर में अब तक के सबसे बड़े 25 हजार करोड़ के रोशनी जमीन घोटाले में बड़े-बड़े नाम बाहर आने लगे हैं। अब इस घोटाले में पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला का नाम भी आ गया है। आरोप है कि उन्होंने सुंजवां में स्थित आलीशान बंगला बनाने के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। सीबीआई इस मामले की जांच करने में लगी हुई है।
रोशनी भूमि घोटाले की आंच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के दरवाजे तक जा पहुंची है। ताजा खुलासे में स्थानीय प्रशासन ने दावा किया है कि अब्दुल्ला परिवार का शहर के बाहरी क्षेत्र सुंजवां में बना आलीशान बंगला सरकारी जमीन पर खड़ा है। उन पर आरोप है कि उक्त जमीन रोशनी भूमि घोटाले की आड़ में कब्जाई गई थी, जिसकी रूपरेखा खुद फारूक सरकार ने ही खींची थी। फारूक की बहन सुरैश ने भी रोशनी ऐक्ट के जरिये तीन कनाल और 12 मरने जमीन अपने नाम करवाई थी और उसकी सरकारी कीमत भी आज तक सरकारी खजाने में जमा नहीं करवाई गई, जो करीब एक करोड़ रूपये के आसपास है। यह एक बड़ा आरोप है और यह साफ हो जाता है कि अब्दुल्ला परिवार ने भी अपनी रिहायश के लिए सरकारी जमीन पर कब्जा किया था।
अब्दुल्ला परिवार पर इस घोटाले में एक और बड़ा आरोप यह भी है कि नैशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू तथा श्रीनगर स्थित कार्यालय के मालिकाना हक भी रोशनी ऐक्ट की आड़ में ही फारूक के पास है। इस 25 हजार करोड़ के घोटाले में फारूक का नाम आने से तो सियासी भूचाल जैसी स्थिति बन रही है। इतने गंभीर आरोपों की पकड़ में आए फारूक अब्दुल्ला की राजनीतिक नैतिकता कठघरे में आ खड़ी हुई है।
बता दें कि साल 2001 में फारूक सरकार ने किसानों के हितों को साधने का दावा करते हुए इस ऐक्ट को लागू किया था। साल 1998 में फारूक अब्दुल्ला ने गांव सुंजवां में खसरा नंबर 21 के तहत तीन कनाल जमीन खरीदी थी। उस समय फारूक सीएम थे। जब फारूक द्वारा खरीदी गई जमीन पर निर्माण का काम शुरु हुआ तो फारूक पर यह आरोप लगा कि उन्होंने साथ ही सटी वन विभाग की सात कनाल जमीन भी हड़प ली।
इसके बाद फारूक सरकार के ही कई मंत्रियों, अफसरों और व्यापारियों ने सरकारी जमीनों पर रोशनी की आड़ में धड़ाधड़ कब्जे शुरु कर दिए। सरकारी आरोप है कि पूर्व मंत्री सईद अली आखून ने सुंजवां में एक कनाल जमीन डकार ली। इसी तरह से पूर्व जज अली मोहम्मद के बेटे अशफाक अहमद मीर ने भी इतनी ही जमीन अपने नाम करवा ली।
रोशनी भूमि घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने अब इस मामले में खुलासे करने का काम शुरु कर दिया है। अब बड़े नाम बाहर आने लगे हैं, जिन्होंने इस ऐक्ट का फायदा लेते हुए जमीनों को अपने या फिर अपने रिश्तेदारों के नाम पर करवा लिया है। सबसे ऊपर नाम हसीब द्राबू का है। वह पीडीपी की सरकार में वित्त मंत्री रह चुके है। कश्मीर के नामी होटल व्यापारी मुश्ताक अहमद चाया, पूर्व आईएएस अफसर मोहम्मद शफी पंडित ने अपने तथा पत्नी के नाम पर जमीन को लिया हुआ है। नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता सईद आखून इसके अलावा पूर्व बैंक चेयरमैन एमवाई खान, पूर्व गृह मंत्री सज्जाद किचलू, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, असलम गोनी शामिल है।
क्या है रोशनी ऐक्ट भूमि घोटाला : साल 2001 में तब की फारूक अब्दुल्ला सरकार ने प्रदेश में यह ऐक्ट लागू किया था। इस योजना के तहत साल 1990 से हुए अतिक्रमण को इस ऐक्ट के दायरे में कटऑफ सेट किया गया था। सरकार का कहना था कि इसका सीधा फायदा उन किसानों को मिलेगा जो सरकारी जमीन पर कई सालों से खेती कर रहे हैं लेकिन नेताओं ने सरकारी जमीनों पर कब्जे जमाने का काम शुरु कर दिया।

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