किसानों की मांग- कानून खत्म करने को संसद सत्र बुलाओ, ऐलान- बॉर्डर से छूटे तो सीधे दिल्ली!

किसान आंदोलन का सातवां दिन

  • वार्ता के दौरान चाय आई तो किसान बोले- धरनास्थल पर आइए, जलेबी खिलाएंगे
  • लंबे आंदोलन के लिए पंजाब के घर-घर से दिया जा रहा आटा, चावल और घी

नई दिल्ली। मोदी सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन आज बुधवार को सातवें दिन भी जारी है। किसानों ने शाम करीब सवा पांच बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष स्वराज सिंह ने कहा, ‘हम सड़क पर नहीं बैठे हैं। प्रशासन ने बैरिकेड्स और जवान खड़े करके हमारा रास्ता रोका है और इसीलिए हम यहां रुके हैं। हमें यह जगह अस्थाई जेल जैसी लगती है और हमें रोका जाना गिरफ्तारी की तरह है। हम जैसे ही यहां से छूटे तो सीधा दिल्ली जाएंगे।’
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल, जो मंगलवार को किसानों को मनाने में नाकाम रहे थे, वो आज बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से उनके घर पर मिले। दोनों मंत्रियों ने मंगलवार को किसानों से हुई बातचीत का अपडेट शाह को दिया।
मंगलवार को सरकार के साथ 35 किसान संगठनों की 3 घंटे की बातचीत बेनतीजा रही। मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश मौजूद रहे थे। मीटिंग में सरकार कानूनों पर प्रजेंटेशन दिखाकर फायदे गिनवाती रही, लेकिन किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने इतना तक कह दिया कि हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। किसानों ने कृषि कानूनों को डेथ वॉरंट बताया।
3:45 बजे : किसानों और सरकार की मीटिंग शुरू हुई। 4 बजे सरकार की तरफ से किसान नेताओं को चाय ऑफर की गई, लेकिन उन्होंने कहा कि चाय नहीं, हमारी मांगें पूरी करिए। आप धरना स्थल पर आइए, हम आपको जलेबी खिलाएंगे।
4.15 बजे : कृषि मंत्री ने किसानों से आपत्तियां पूछीं। किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने तीनों कानूनों को रद्द करने और MSP की गारंटी देने की मांग रखी। इस पर पीयूष गोयल ने टोकते हुए कहा कि हम तीनों बिलों और MSP पर एक PPT तैयार करके लाए हैं, वो देख लें, फिर आगे बात करेंगे।
5.15 बजे : केंद्रीय राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने कहा कि ये तीनों कानून आप किसानों के फायदे के लिए हैं। किसान बोले कि हमारी जमीनें बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे। आप कानून में कॉरपोरेट को मत लाइए। ये कानून किसानों के लिए डेथ वॉरंट हैं।
6.45 बजे : किसान नेताओं ने कहा जब तक फैसला नहीं होता आंदोलन जारी रहेगा। इसके बाद तोमर बोले कि 3 दिसंबर को फिर मीटिंग करेंगे।
किसानों को चिंता है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था खत्म हो सकती है। पंजाब और हरियाणा के किसान ही इन तीन नए कानूनों का विरोध इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार की एक कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि देश के सिर्फ 6% किसान ही MSP का फायदा लेते हैं, उनमें भी सबसे ज्यादा किसान इन्हीं दोनों राज्यों के होते हैं। कृषि बिलों के विरोध में NDA से अलग हुए शिरोमणि अकाली दल ने किसानों से बातचीत बेनतीजा रहने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। अकाली दल ने कहा कि सरकार बातचीत को इसलिए लंबा खींच रही है, ताकि किसान थक जाएं।
किसान आंदोलन की सफलता के लिए भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेताओं ने गाजीपुर बॉर्डर पर हवन किया। दिल्ली-UP बॉर्डर (गाजीपुर-गाजियाबाद) पर जमा किसानों ने आज बुधवार सुबह बैरिकेड धकेल कर हटा दिए। पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर के साथ-साथ आज झारोदा और झटीकरा बॉर्डर को पूरी तरह बंद कर दिया है। बडुसराय बॉर्डर से सिर्फ टू-व्हीलर के मूवमेंट की परमिशन है। 70 साल के संतोख सिंह सिंघु बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल हैं। आंसू गैस का खोल लगने से वे जख्मी हो गए। पुलिस ने आज बुधवार सुबह नोएडा लिंक रोड पर स्थित चिल्ला बॉर्डर भी बंद कर दिया। गौतम बुद्ध गेट पर किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए यह फैसला लिया। बाद में दोपहर करीब 3 बजे दिल्ली-नोएडा बॉर्डर खोल दिया गया।
किसानों के आंदोलन को देखते हुए नॉर्दर्न रेलवे ने अजमेर-अमृतसर एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन (09613) को आज रद्द कर दिया है। गुरूवार को अमृतसर-अजमेर एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन (09612) और अमृतसर-डिब्रूगढ़ स्पेशल ट्रेन (05212) रद्द रहेगी। भटिंडा-वाराणसी एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन (04998/04997) अगले आदेश तक कैंसिल रहेगी। नांदेड-अमृतसर एक्सप्रेस (02715) आज दिल्ली तक और बांद्रा-अमृतसर एक्सप्रेस (02925) चंडीगढ़ तक ही चलेगी। अमृतसर-जयनगर एक्सप्रेस (04650/74) और दुर्ग-जम्मू तवी (08215) एक्सप्रेस का रूट डायवर्ट किया गया है।
महाराष्ट्र के किसान संगठनों ने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि सरकार 3 दिसंबर तक कृषि कानूनों से जुड़ी चिंताएं दूर करे। ऐसा नहीं हुआ तो वे दिल्ली कूच करेंगे। भूखे पेट फौज जंग नहीं लड़ सकती। इस बात को पंजाब के किसानों से बेहतर कोई नहीं जानता। दो महीने पंजाब और अब सात दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को खाने की दिक्कत न हो, इसके लिए पूरे पंजाब में हर किसान परिवार योगदान दे रहा है। पंजाब में लगे ज्यादातर पक्के धरने इन दिनों कलेक्शन सेंटर में बदल दिए गए हैं। जहां 70 साल के बुजुर्गों से महिलाएं तक सिर पर आटा, चावल, दाल की बोरियां लादकर पहुंच रहे हैं। हर घर से आटा, दाल, घी, फल, सब्जियां और दूध आदि पहले कलेक्शन सेंटर और फिर वहां दिल्ली पहुंचाया जा रहा है।
किसान जत्थेबंदियों ने गांवों में टीमें बनाई हैं जो यकीनी बनाती हैं कि दिल्ली तक राशन की सप्लाई की चेन टूटने न पाए। दिल्ली कूच से पहले ही किसान जत्थेबंदियों ने साफ कर दिया था कि 26-27 नवंबर को चार महीने का राशन अपने साथ लेकर निकलेंगे। गांवों से रोजाना सामान इकट्ठा किया जा रहा है और जरूरत के मुताबिक धरनास्थल तक पहुंचाया जा रहा है। किसान अपने स्तर पर भी सामान लेकर पहुंच रहे हैं। रोपड़ में लोगों से 2 लाख का चंदा जुटाकर किसानों के लिए सामान भेजा गया। वहीं, 20 किलो अचार का डिब्बा उठाए कलेक्शन सेंटर पहुंची बुजुर्ग महिला ने कहा कि आगे भी सामान पहुंचाती रहेंगी। होशियारपुर के गांव राजपुर भाइयां से खाने-पीने के सामान के अलावा, कपड़े, कंबल, डिस्पोजल भेजे जा रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि जब तक आंदोलन चलेगा, किसी चीज की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।

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