नए कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे किसान

  • मोदी सरकार ने फिर बदला रुख, कहा- किसानों से बातचीत के बाद कृषि कानूनों में सुधार को तैयार

नई दिल्ली। मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान संगठनों का आंदोलन 16वें दिन में पहुंच गया है। हालांकि गतिरोध दूर करने के लिए मोदी सरकार ने फिर से बातचीत की पेशकश की जिसे किसानों ने ठुकरा दिया। किसान नेताओं ने साफ कहा कि सरकार जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा। वहीं भारतीय किसान यूनियन ने तीनों कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बातचीत के जरिए गतिरोध दूर करने को तैयार है।
किसान संगठनों के नेताओं ने सरकार की ओर से दोबारा बातचीत शुरू करने की पेशकश ठुकरा दी है। ऑल इंडिया किसान सभा के पंजाब में जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल ने आज शुक्रवार को कहा कि सरकार जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा। मेजर सिंह पुनावाल ने कहा, ‘हमारा अगला कार्यक्रम 12 दिसंबर से पहले जयपुर-दिल्ली एक्सप्रेसवे को जाम करना है और 14 दिसंबर को देशभर में जिला स्तर पर डीसी के दफ्तरों के सामने मोर्चे निकाल कर धरना-प्रदर्शन करना है। भाजपा के दफ्तरों के आगे भी धरना दिया जाएगा।’
उन्होंने कहा कि पंजाब की तरह देशभर में टोल फ्री किया जाएगा और रिलायंस के पेट्रोल पंपों को बंद किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के गुरविंदर सिंह ने भी कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे, किसानों का यह आंदोलन चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि आगे आंदोलन और तेज करने की तैयारी जोरों पर चल रही है।
उधर मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों के भारी विरोध के बीच अब भाजपा बड़े पैमाने पर जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी में है। देश में सात सौ से अधिक स्थानों पर प्रेस कांफ्रेंस और किसान चौपाल के जरिए कृषि कानूनों पर फैलाई गई भ्रांतियों को पार्टी नेता दूर करेंगे। इससे साफ हो गया है कि मोदी सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने जा रही है और किसानों के साथ बातचीत का मतलब केवल मामले को लंबा खींचना है ताकि किसान थक हारकर अपने घरों को लौट जाएं।  

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here