ईडी का सुप्रीम कोर्ट में दावा
- पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम पर जांच एजेंसी ने आईएनएक्स मीडिया मामले से संबंधित सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का लगाया आरोप
- जांच एजेंसी ने कोर्ट में कहा, अन्य साजिशकर्ताओं के साथ विदेशी संपत्ति की बिक्री और बैंक खातों को बंद करने में लगे हें चिदंबरम
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बेनामी संपत्ति और बैंक खातों को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहता है। सोमवार को उसने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था जिसमें उसने बताया था कि पूर्व मंत्री सहित अन्य आरोपियों ने शेल कंपनियों के जरिए 13 देशों में संपत्ति खरीद रखी हैं। लेन-देन का पता लगाने के लिए वह चिदंबरम की रिमांड चाहता है। इस मामले पर आज मंगलवार को सुनवाई शुरू हो गई है।
चिदंबरम की तरफ से पेश हुए वकील ने अदालत में जिरह करते हुए कहा कि आरोपी को हिरासत में लेने के लिए ईडी पीठ के पीछे इस तरह बेतरतीब ढंग से दस्तावेज अदालत में नहीं रख सकती है। शीर्ष अदालत में चिदंबरम के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि ईडी का कहना है कि एफआईपीबी को वर्ष 2007 में मंजूरी दी गई। इसका नोट राजस्व विभाग ने 2008 में लिया। एफआईपीबी से वर्ष 2008 में क्लीयरेंस मिल। उससे पहले कुछ नहीं था। सिंघवी का कहना है कि केस शुरुआत से ही गलत चल रहा है।
इधर ईडी ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल हलफनामे में दावा किया कि चिदंबरम सहित अन्य आरोपियों के 13 देशों में बैंक खाते और संपत्तियां हैं। इसलिये जांच पूरी करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया मामले से संबंधित सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। जांच एजेंसी का कहना है कि अन्य साजिशकर्ताओं के साथ वह विदेशी संपत्ति की बिक्री और बैंक खातों को बंद कर रहे हैं। ईडी ने यह बातें उच्चतम न्यायालय में कहीं और अदालत को बताया कि जांच पूरी करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है।
अपने हलफनामे में ईडी ने अदालत से कहा कि कांग्रेस नेता और अन्य आरोपियों के पास अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, ब्रिटिश वर्जीन आईलैंड, फ्रांस, ग्रीस, मलयेशिया, मोनाको, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन और श्रीलंका में संपत्ति और बैंक अकाउंट हैं। शेल (फर्जी) कंपनियों के जरिए इन देशों के बैंक खातों में लेन-देन का काम किया गया। एजेंसी ने कहा, ‘आरोपी के खिलाफ हमारे पास मजबूत केस है और इस आधार पर जमानत याचिका का विरोध कर रहे हैं। इसके साथ ही इनकी अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करने का हमारे पास एक और मजबूत आधार है। हमें ऐसे संकेत मिले हैं कि आरोपी और सह षड्यंत्रकर्ता न केवल सबूतों के साथ छेड़छाड़/खत्म कर रहे है बल्कि वह गवाहों को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। जांच ऐसे मुकाम पर पहुंच चुकी है जहां सबूतों को सुरक्षित रखने की जरूरत है। सबूतों की रक्षा के साथ ही गवाह की गरिमा और सुरक्षा की भी रक्षा होनी चाहिए। गवाह को प्रभावित करने के साथ उनका अपमान किया रहा है। आरोपी बहुत ताकतवर और प्रभावशाली व्यक्ति हैं।’
चिदंबरम के बेटे कार्ति को फिलहाल मद्रास उच्च न्यायालय से राहत मिली हुई है। चिदंबरम के वकील का कहना है कि उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया। हालांकि ईडी का कहना है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को जब समन देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था तो वह पूरी तरह से टाल-मटोल करने वाले और असहयोगी रहे हैं। एजेंसी का कहना है कि मौजूदा सबूत इस बात के गवाह हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में चिदंबरम प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भागीदार रहे हैं। वह मनी लांड्रिंग के गंभीर दोषी हैं। एजेंसी ने कहा, जांच रिकॉर्ड में यह बात सामने आई है कि शेल कंपनियों में जमा कराए पैसों का इस्तेमाल बहुत से बेनामी खातों और बेनामी निवेश करने के लिए किया गया। जिसके जरिए भारत और विदेश में संपत्ति खरीदी गई।