नास्तिक बने आस्तिक
- लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही मंदिरों और ज्योतिषियों के दर पर बढ़ी टिकटार्थी भक्तों की भीड़
- टिकट पाने के साथ ही कुंडली में ग्रह, नक्षत्र और राशियों में राजयोग की बाधायें दूर करने के उपायों में जुटे
- पूजा—पाठ, दान—पुण्य और अनुष्ठानों के बल पर पार करना चाह रहे चुनावी नैया
देहरादून। लोकसभा चुनावों का बिगुल बजते ही टिकट के दावेदारों में हलचल मच गई है। उन्हें कई मोर्चों पर जंग जीतनी है। इसके लिये सबसे पहली जंग किसी तरह टिकट हथियाने की है और उसके बाद जीत का सेहरा बांधने के लिये दिन—रात जुट जाने की तैयारी है। आखिर में म़ंत्री पद मिल जाये तो सोने में सुहागा हो जाएगा। इन सभी मोर्चों में कहीं कोई बाधा तो नहीं है या आने वाली है तो इन सबके निदान के लिये कई नास्तिक नेता भी चुनावी बेला में पूरे आस्तिक नजर आ रहे हैं।
इसके साथ ही उन्होंने नियमित रूप से मंदिर भी जाना शुरू कर दिया है और कई नामचीन ज्योतिषियों के यहां भी ऐसे नेताओं का जमावड़ा लगा है। बस किसी तरह राजयोग हासिल हो जाए, इसके लिये वे इस समय कुछ भी त्याग करने को तैयार हैं। पूजा—पाठ, दान—पुण्य और मंत्र—तंत्र के अनुष्ठान भी शुरू हो गये हैं। खास बात यह है कि भक्त जन अपने प्रतिद्वंद्वी की कुंडली भी ज्योतिषियों को दिखा रहे हैं, ताकि उनके राजयोग में पलीता लगाया जा सके और अपनी राह निष्कंटक हो सके। इससे ज्योतिषियों की चांदी हो गई है और वे अपने सभी भक्तों को विजयी भव का आशीर्वाद देने के साथ राजयोग पाने के लिये जितने भी उपाय बता रहे हैं, भक्त जन पूरी श्रद्धा और मनोयोग से उन्हें करने में जुटे हैं। हालांकि यह तो समय ही बतायेगा कि वास्तव में राजयोग किसकी किस्मत में लिखा है।