दून : राजद्रोह में एक धरा गया, स्टिंगबाज समेत उसके ‘शागिर्दों’ की तलाश में छापे

झूठी खबरें प्रसारित करने का मिला ‘इनाम’

  • मुख्यमंत्री के विरुद्ध आम जनता में घृणा पैदा करने के लिए पेश किये कूटरचित दस्तावेज और भ्रामक वीडियो भी किया प्रसारित
  • स्टिंगबाज उमेश शर्मा ने अमृतेश चौहान, शिव प्रसाद सेमवाल और राजेश शर्मा के साथ मिलकर की सरकार को अस्थिर करने की साजिश
  • मुख्यमंत्री पर लगाये झूठे आरोप, पुलिस ने पत्रकार राजेश शर्मा को कोर्ट में किया पेश, कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जेल

देहरादून। लगातार झूठी खबरें प्रकाशित कर राजद्रोह करने के आरोप में पुलिस ने देहरादून के एक समाचार पत्र संचालक राजेश शर्मा को गिरफ्तार किया है। मुकदमे में एक चैनल के पूर्व सीईओ उमेश शर्मा और पर्वतजन पोर्टल के संचालक शिव प्रसाद सेमवाल समेत तीन और नामजद हैं। पुलिस इन सभी पत्रकारों को गिरफ्तार करने के लिये लगातार छापे मार रही है। यह खबर फैलते ही अन्य दलाल टाइप के पत्रकारों में भी हड़कंप मच गया है।
फर्जी न्यूज के सहारे ब्लैकमेलिंग करके कारोबार बढाने वाले स्टिंगबाज उमेश जे कुमार उर्फ़ उमेश बब्बर के शागिर्द राजेश शर्मा को दून पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गलत तथ्यों के आधार पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदनाम करने और सरकार को अस्थिर में देहरादून का यह स्वयंभू पत्रकार शामिल रहा है। इन लोगों ने सरकार से मनमाने काम न हो पाने के कारण उसे बदनाम करने के लिए बड़ी साज़िश रची थी। इस साज़िश में कुछ ऐसे दलाल टाइप के पत्रकार भी शामिल रहे हैं, जिनका मूल काम तो पत्रकारिता दिखता है, लेकिन असल में वो ब्लैकमेलिंग करके प्रदेश में अपना धंधा चमका रहे हैं।

पुलिस के अनुसार उमेश बब्बर के उक्त शागिर्द ने अपने जैसे ही दो और साथियों के साथ मिलकर सरकार को बदनाम करने के लिए सुनियोजित तरीके से सीएम रावत के दूर के रिश्तेदार का नाम उनके साथ जोडकर समय-समय पर खबरें प्रकाशित कीं। साथ ही जिस घटना का मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई संबंध था ही नहीं, उसको सीएम कार्यालय और मुख्यमंत्री रावत के परिवार से जोड़कर खबर बनायी गयी। ताकि मुख्यमंत्री की छवि को खराब किया जा सके। इस मामले की प्रारंभिक जांच में एक चौंकाने वाली बात सामने आयी है। ‘ब्लैकमेलरों के सरगना’ उमेश कुमार ने राजेश शर्मा को ही कठघरे में खड़ा करते हुए फर्जी वीडियो में दिखाये गये दस्तावेज और आडियो उपलब्ध कराने की बात कही है। उमेश के शातिर दिमाग की तो दाद ही देनी पड़ेगी। उसने सारा दोष राजेश शर्मा पर मढ़ते हुए खुद बचने की कोशिश की है।
दर्ज मुकदमे के अनुसार इन सभी ने मुख्यमंत्री पर झूठा आरोप लगाते हुए साजिश के तहत प्रदेश सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया है। पुलिस का कहना है कि इन सभी आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार पूर्व प्रोफेसर और कॉलेज ऑफ एजुकेशन मियांवाला के प्रबंधक डॉ. हरेंद्र सिंह रावत ने थाना नेहरू कॉलोनी में तहरीर दी थी। इसमें बताया गया कि उनके परिचित ज्योति विजय रावत ने उन्हें जानकारी दी थी कि उमेश शर्मा नामक व्यक्ति ने फेसबुक के माध्यम से सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट की है।

इस वीडियो में उसने उनके और उनकी पत्नी सविता रावत के बैंक खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड के एक व्यक्ति अमृतेश चौहान द्वारा झारखंड गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के एवज में बतौर रिश्वत धनराशि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने के लिए भेजना बताया है। धनराशि के लेनदेन से संबंधित फर्जी दस्तावेज वीडियो के माध्यम से दिखाए गए। साथ ही यह भी दावा किया गया कि उनकी पत्नी मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बड़ी बहन है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उमेश शर्मा और अमृतेश चौहान ने उनकी निजी सूचनाओं को गैरकानूनी तरीके से प्राप्त करते हुए सार्वजनिक किया। पुलिस के अनुसार तहरीर के बाद जब वीडियो में दिखाए गए सभी तथ्यों की जांच राजपत्रित अधिकारी से कराई गई तो सभी दस्तावेज कूटरचित पाए गए। जांच में यह भी सामने आया कि उमेश शर्मा ने ही पर्वतजन पोर्टल, पहाड़ टीवी समाचार चैनल और क्राइम स्टोरी समाचार के संचालकों के साथ मिलकर झूठी खबर चलाईं और प्रदेश सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया।
इस बाबत एसओ नेहरू कॉलोनी दिलबर सिंह नेगी ने बताया कि मामला गंभीर होने के बाद तत्काल मुकदमा दर्ज कर टीम गठित की गई। टीम की ओर से विवेचना के दौरान पाया गया कि उमेश शर्मा द्वारा अमृतेश चौहान, शिव प्रसाद सेमवाल और राजेश शर्मा के साथ मिलकर साजिश के तहत सरकार को अस्थिर करने, मुख्यमंत्री के विरुद्ध आम जनमानस में घृणा पैदा करने के लिए कूटरचित दस्तावेज प्रदर्शित करते हुए भ्रामक वीडियो प्रसारित किया गया।
इसके साथ ही उन्होंने लगातार अपने समाचार पत्र के माध्यम से झूठी और भ्रामक खबरें प्रकाशित कीं। जिसके बाद एक टीम गठित कर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई और बृहस्पतिवार रात को पत्रकार राजेश शर्मा को सुमन नगर चोर खाला से गिरफ्तार किया गया। उसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस दबिश दे रही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने इस मामले में एसआईटी गठित की है। जिसमें थानाध्यक्ष दिलबर सिंह नेगी, थानाध्यक्ष प्रेमनगर धमेंद्र रौतेला, थानाध्यक्ष वसंत विहार नत्थीलाल उनियाल, चौकी प्रभारी बाईपास आशीष रावत और कांस्टेबल दीप प्रकाश को शामिल किया गया है। जल्द ही सारे आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होंगे।

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