जौनसार का पहला ‘जनजातीय संग्रहालय’, शोध केंद्र के तौर पर होगा विकसित

देहरादून: जौनसार-बावर की विशिष्टता को स्थापित करने तथा उसकी बहुरंगी, बहुआयामी संस्कृति को समझने के लिए ‘ग्लोबल शिक्षा समिति’ द्वारा एक नयाब पहल की जा रही है। अपनी इस अनूठी पहल का ग्लोबल शिक्षा समिति ने बकायदा खाका भी तैयार कर लिया है। जिसके तहत समिति ने साहिया स्थित सरदार महिपाल राजेंद्र महाविद्यालय में ‘जौनसारी जनजातीय संग्रहालय’ स्थापित करने का निर्णय लिया है। जहां भविष्य में जौनसार की अमूल्य धरोहर के न सिर्फ दर्शन होंगे बल्कि यह संग्रहालय एक शोध केंद्र तौर पर भी विकसित किया जायेगा। ग्लोबल शिक्षा समिति के महासचिव अनिल सिंह तोमर ने बताया कि प्राचीन कुलिंद नाम से विख्यात वर्तमान जौनसार बावर की अपनी एक सांस्कृतिक विरासत है। इस महान सांस्कृति विरासत को बचाने के लिए अभी से प्रयास किये जाने चाहिए। ग्लोबल शिक्षा समिति ने इस आवश्यकता को महसूस किया और अपनी वार्षिक बैठक में इस एजेंडे को रखा। जिसमें तय किया गया कि जौनसार की आदिवासी संस्कृति, जनजातीय जीवन, कला-साहित्य और वस्तु संग्रह के लिए साहिया में जौनसारी जनजातीय संग्रहालय स्थापित किया जायेगा। जो जौनसारी जनजातीय की आदिवासी संस्कृति, जनजातीय जीवनए कला और वस्तु संग्रह का अद्भूत केंद्र होगा।उन्होंने ने बताया कि जौनसारी जनजातीय संग्रहालय को एस.एम.आर. डिग्री काॅलेज साहिया द्वारा संचालित किया जायेगा जिसके संचालन के लिये इतिहास विभाग के पदेन प्राध्यापक नोडल अधिकारी होंगे। संग्रहालय के माध्यम से जौनसार बावर की जनजातीय जीवन शैली को देखा और महसूस किया जायेगा साथ ही जौनसारी जनजाति की भाषा रहन-सहन, खान-पान ओर संस्कृति पर शोध अध्ययन किया जायेगा।जौनसारी जनजातीय संग्रहालय में जौनसार बावर की कला, संस्कृति, परम्परा, जीवन उपयोगी शिल्प चित्रों, रहन-सहन तथा रीति-रिवाजों को चित्रपटों एवं मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित किया जायेगा साथ ही प्राचीन समृद्ध परम्पराओ को जानने और समझने के लिये ऐसी अनेक वस्तुओं को संग्रह कर सुरक्षित रखा जायेगा जो जौनसारी सभ्यता की याद दिलायेगी। यह संग्रहालय जौनसारी सांस्कृति धरोहर तथा प्रकृति को न सिर्फ प्रदर्शित करेगा बल्कि जौनसारी जनजाति के विकास के साथ-साथ जनजातीय शोध संस्थान के रूप में भी अग्रणी भूमिका निभायेगा।समिति के महासचिव ने बताया कि जौनसारी जनजातीय संग्रहालय में एक ग्रन्थालय बनाया जायेगा जिसमे ज्ञान, विज्ञान, कला, संस्कृति, इतिहास एवं अन्य विविध विषयों पर करीब 5000 पुस्तकों का संग्रह किया जायेगा। उन्होंने कहा कि दुर्गम जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में संचालित एस.एम.आर. डिग्री काॅलेज साहिया उत्तराखण्ड का पहला डिग्री काॅलेज है जहां छात्र-छात्राओं के शोध अध्ययन के लिये संग्रहालय स्थापित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि संग्रहालय के लिये समाल्टा में वस्तु गृह बनाया गया है लगभग दो वर्षों के भीतर इस जौनसारी जनजातीय संग्रहालय का विस्तार कर आम-जनमानस के लिए खोल दिया जायेगा।

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