देहरादून: दसवीं और बारहवीं की फर्जी मार्कशीट बेचने वाले गैंग का भंडाफोड, एक गिरफ्तार

देहरादून। राजधानी दून के घंटाघर स्थित कॉम्प्लेक्स में फर्जी मार्कशीट बनाने का मामला सामने आया है। जहां 10वीं व 12वीं कक्षा के फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर 10 से 15 हजार रुपये में बेचे जाते थे। मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। जबकि दूसरे की गिरफ्तारी के लिए टीमें मुजफ्फरनगर भेजी गई हैं।

पुलिस के अनुसार, एमडीडीए कांप्लेक्स में लंबे समय से एक कार्यालय चल रहा था जहां पर 10वीं व 12वीं के फर्जी सर्टिफिकेट तैयार किए जा रहे हैं। गिरोह ने एक नेशनल काउंसिल फार रिसर्च एजूकेशन नाम से ट्रस्ट बनाया हुआ था। इसी के नाम से वह सर्टिफिकेट जारी करते थे। गिरोह के लोग 10वीं व 12वीं कक्षा की फर्जी सर्टिफिकेट बिहार और अरुणाचल में बेचा करते थे। वहीं फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करने के लिए 10 से 15 हजार रुपये लिया करते थे। इस दौरान पुलिस ने आरोपी राम किशोर निवासी गाजीपुर बनारस यूपी को गिरफ्तार किया। जो खुद पांचवीं पास है। जिसने अपना खुद का 12वीं का सर्टिफिकेट भी फर्जी बनाया हुआ है।

वहीं पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी ने कई राज उगले हैं। पुलिस की पड़ताल में कंप्यूटर से बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट भी मिले हैं। गिरोह बिहार व अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले युवाओं के फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर रहा था। वहीं पुलिस ने दूसरे आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीमें मुजफ्फरनगर भेजी हैं। पुलिस के अनुसार पूछताछ में अब तक यह पता चला है कि आरोपी ने जिन नौजवानों के फर्जी दस्तावेज बनाए हैं उनमें से कई युवकों की बिहार में सरकारी नौकरी भी लग चुकी है। फिलहाल पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। वहीं इन संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उत्तराखंड में भी फर्जी सर्टिफिकेट बने हो सकते हैं और कई युवा नौकरी पाने में सफल भी गए होंगे, जो जांच का विषय है।

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