कुदरत का कहर
- तूफान के कारण ओडिशा के तटीय इलाकों में हो रही बहुत तेज बारिश
- करीब 10 हजार गांव और 52 शहर आए इस भयानक तूफान के रास्ते में
- बीस साल में पहली बार इतने भयानक तूफान का कहर झेलेंगे लोग
भुवनेश्वर। मौसम विभाग का कहना है कि ओडिशा के पुरी में फानी तूफान के कारण 240-245 किमी/घंटे की गति से तूफान चल रहा है और तटीय इलाकों में बहुत तेज बारिश हो रही है। करीब 10 हजार गांव और 52 शहर इस भयानक तूफान के रास्ते में आएंगे जहां यह तूफान अपना रौद्र रूप दिखायेगा। 20 साल में पहली बार इतना भयानक तूफान आया है। पांच—छह घंटे की विनाशलीला के बाद इसका असर कम होता जाएगा और यह पश्चिम बंगाल के तट की तरफ बढ़ जाएगा।
‘बेहद खतरनाक’ फानी तूफान ने पुरी के गोपालपुर और चांदबली के पास पहली दस्तक दी तो इस दौरान 170-180 से लेकर 225 किमी प्रति घंटे तक की हवाएं चलीं। तूफान पहुंचने के 4-6 घंटे बेहद विनाशकारी माने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को एक उच्च स्तरीय बैठक कर समुद्री चक्रवात फानी के लिए तैयारी की समीक्षा की।
उधर रेलवे का कहना है कि 89 ट्रेनों को पिछले दिनों में फानी के कारण रद्द किया गया है और प्रभावित इलाकों से बाहर निकालने के लिए तीन स्पेशल ट्रेनों को लगाया गया है पुरी समुद्र तट पर लोगों को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी जा रही है। फानी के चलते पुरी जिले में भूस्खलन होने की आशंका है।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सभी तटीय हवाई अड्डों को यह सुनिश्चित करने के लिए अलर्ट जारी किया कि फानी के मद्देनजर सभी सावधानियों को लागू किया जाए। तूफान की गंभीरता को देखते हुए पहले ही 10 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया जा चुका है। एनडीआरएफ की 28, ओडिशा डिजास्टर मैनेजमेंट रैपिड ऐक्शन फोर्स की 20 यूनिट और फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट के 525 लोग रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तैयार हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की 302 रैपिड रेस्पॉन्स फोर्स टीम तैनात की गई हैं।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद यह पहली बार होगा जब राज्य इतने भीषण तूफान का सामना करेगा। वर्ष 1999 में आए सुपर साइक्लोन में 10 हजार लोगों की जान चली गई थी। उस तूफान की रफ्तार 270-300 किलोमीटर प्रति घंटा की थी। वहीं, फोनी तूफान करीब 4-6 घंटे तक बेहद भीषण बना रहेगा। इसके बाद यह धीरे-धीरे कमजोर होगा। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इस तूफान से झोपड़ियां और कच्चे मकान पूरी तरह बर्बाद हो सकते हैं। सड़कें और फसलों की भारी नुकसान हो सकता है। बिजली के खंभे गिरने और तूफान से उड़ने वाली चीजों से भी खतरा रहेगा। खुर्दा, कटक, जाजपुर, भद्रक और बालासोर जिलों से होते हुए तूफान उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ेगा। इसके बाद पश्चिम बंगाल और फिर बांग्लादेश की ओर मुड़ जाएगा।
तूफान को देखते हुए बड़े पैमाने पर हुए ऑपरेशन में गुरुवार शाम 7 बजे तक लगभग आठ लाख लोगों को निचले इलाकों से निकाला गया। तटीय जिलों में रेल, सड़क और हवाई यातायात पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। गुरुवार मध्यरात्रि से बीजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें 24 घंटे के लिए रोक दी गई हैं। कोलकाता एयरपोर्ट भी शुक्रवार रात से शनिवार शाम 6 बजे तक बंद रहेगा।
उधर, चुनाव आयोग ने बचाव और राहत कार्यों की सुविधा के लिए 11 जिलों से आदर्श आचार संहिता हटा ली है। इसके अलावा आयोग ने गजपति और जगतसिंहपुर जिलों के चार विधानसभा क्षेत्रों के ईवीएम को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने को भी मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लोगों से न घबराने की अपील करते हुए कहा है, ‘राज्य सरकार तूफान से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रत्येक जीवन हमारे लिए अनमोल है।’