कोरोना : देर-सबेर सामुदायिक संक्रमण का शिकार बनेगा उत्तराखंड!

त्रिवेंद्र सरकार ने जताई आशंका

  • बड़ी संख्या में प्रवासियों के आने व संक्रमण में तेजी से सरकार ने बदली रणनीति
  • जून के प्रथम सप्ताह तक कोरोना संक्रमण के मामले पीक पर होने का अनुमान  
  • मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अगले 10 दिन बेहद महत्वपूर्ण होने का दिया संकेत
  • सरकार का होम क्वारंटीन पर फोकस, दून के बोर्डिंग स्कूल भी बनेंगे क्वारंटीन केंद्र

देहरादून। लॉकडाउन 4.0 में प्रवासियों की बड़ी संख्या में हो रही वापसी के साथ साथ कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में एकाएक बेहद तेजी आने से स्वास्थ्य विभाग सकते में है। जबकि दूरदर्शी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने करीब एक माह पहले ही यह आशंका जता दी थी कि लगभग दो लाख प्रवासी उत्तराखंड लौटने वाले हैं। जिनमें से करीब 25 हजार पहले से ही कोरोना पॉजिटिव होने की आशंका है और उनमें से करीब पांच हजार प्रवासियों को अस्पतालों में भर्ती कराने की नौबत आ सकती है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने लोगों को यह भरोसा भी दिलाया था कि उनकी सरकार ऐसे विषम और जटिल हालात का मुकाबला करने के लिये पहले से ही तैयारी में जुट गई है। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत की आशंका सच में तब्दील होती दिख रही है। ऐसी परिस्थितियों में त्रिवेंद्र सरकार ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है। आजकल अप्रत्याशित रूप से पॉजिटिव मामले बढ़ जाने के बाद अब बिना किसी हिचक के यह हकीकत स्वीकार की जा रही है कि देर सबेर राज्य को सामुदायिक संक्रमण का सामना करना ही पड़ सकता है। इससे निपटने के लिये त्रिवेंद्र सरकार ने अब होम क्वारंटीन को महत्वपूर्ण माना है।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब इस तथ्य को स्वीकार रहे हैं। जून के प्रथम सप्ताह तक संक्रमण पीक पर होने का अनुमान है। खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह अलग-अलग मौके पर कह चुके हैं कि अगले 10 दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस दिशा में सरकार दूरगामी सोच के साथ कार्य कर रही है। प्रदेश में कोविड 19 के मरीजों के लिये बड़े अस्पतालों में क्वारंटाइन सेंटर बना दिये गये हैं। हालात और जटिल होने पर दून के बोर्डिंग स्कूलों को भी क्वारंटीन सेंटर बनाया जा सकता है। इसके लिए सरकार बोर्डिंग स्कूलों का अधिग्रहण करने की तैयारी कर रही है। हालांकि इनका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब अन्य सभी क्वारंटाइन सेंटर फुल हो जाएंगे।
गौरतलब है कि राजधानी में बड़ी संख्या में बोर्डिंग स्कूल हैं। इनमें कई ऐसे भी हैं, जिनके पास सैकड़ों बच्चों के लिए हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध है। इन हॉस्टल में टॉयलेट-बाथरूम अटैच रूम भी हैं। ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार ने इन्हें भी अधिग्रहण की सूची में रखा है। अभी प्रशासन ने पर्याप्त मात्रा में हॉस्टल और होटल का अधिग्रहण किया हुआ है। इसके बावजूद कोरोना संदिग्ध लोगों की संख्या बढ़ने पर इनकी कमी पड़ सकती है। ऐसे में इमरजेंसी के लिए प्रशासन ने पहले ही स्कूल संचालकों को सूचना दे दी है। 
मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली ने बताया कि आपदा में सभी लोग सहयोग दे रहे हैं। बोर्डिंग स्कूलों के हॉस्टल में बच्चे रहते हैं, जिनके लिए वहां अच्छी सुविधाएं होती हैं। जरूरत पड़ने पर इन हॉस्टल में भी प्रवासियों को ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के निर्देश पर सभी चिह्नित स्कूल संचालकों को इस बाबत सूचित कर दिया गया है। ताकि समय आने पर किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

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