छात्र-छात्राओं से ये बहुत बड़ी बात कह गये त्रिवेंद्र!

  • मुख्यमंत्री ने राज्य के छात्र-छात्राओं से ई-संवाद करते हुए कहा- जब मदद की जरूरत पड़े तो बताएं, वह इसके लिये हर समय हाजिर

देहरादून। आज सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ई-संवाद कार्यक्रम में राज्य के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए एक बहुत बड़ी बात कह डाली। उन्होंने कहा कि जब मदद की जरूरत पड़े तो बताएं। वह इसके लिये हर समय हाजिर हैं। सरकार के साथ ही व्यक्तिगत तौर पर भी लोग मदद के लिए आते हैं। जिससे वह कभी पीछे नहीं हटते।
इस दौरान छात्र-छात्राओं को देशभक्त बनने क े लिये प्रेरित करते हुए कहा कि देशभक्ति सभी सद्गुणों की जननी होती है। जिस भी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएं, उसका उद्देश्य देशभक्ति होनी चाहिए। जो भी करियर बनाएं, मकसद एक ही होना चाहिए कि देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए हनुमानजी से सीखा जा सकता है। ‘रामकाज किन्हे बिना मोहे आराम कहां’। जब तक लक्ष्य पूर्ति न हो, आराम नहीं करना है।
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी आज पुण्यतिथि है। हम उन्हें नमन करते हैं। वह सेना में अधिकारी बनना चाहते थे। देहरादून में साक्षात्कार के लिए आए परंतु उसमें सफल नहीं हुए। निराश हुए, तब ऋषिकेश गए, वहां एक संत से मार्गदर्शन लिया। इसके बाद उन्होंने पूरे मनोयोग से प्रयास किए और एक महान वैज्ञानिक बने। देश के राष्ट्रपति बने। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का विषय है।
उन्होंने बताया कि हमारे प्रदेश में एक आईएएस हैं जो पहले श्रमिक का काम करते थे। उन्होंने मेहनत की और आईएएस बने। सफल होने के लिए जरूरी है कि हमारे प्रयास पूर्ण मनोयोग से हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का मात्रात्मक प्रसार काफी हुआ है। अब विशेष तौर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी एजुकेशन पर ध्यान देना होगा। आज का युग कड़ी प्रतिस्पर्धा का है। उच्च शिक्षण संस्थानों को वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप बदलना होगा। इसी सोच के साथ सीपैट और ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर की स्थापना की गई। इसके अलावा नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भी प्रारम्भ की जाएगी। जल्द ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल डेवलपमेंट भी शुरू किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में स्नातकोत्तर और रिसर्च के लिए आवासीय साईंस कॉलेज की स्थापना पर भी विचार किया जा रहा है। राज्य में एक विद्यालय प्रतिभावान बच्चों के लिए खोला जाएगा। इसमें कक्षा 6 से 12 तक संचालित की जाएंगी। इसमें राज्यस्तरीय परीक्षा के बाद प्रवेश दिया जाएगा। आर्थिक रूप से सक्षम परिवारों के बच्चों से शुल्क लिया जाएगा जबकि निर्धन व प्रतिभावान बच्चों के लिए शिक्षा निशुल्क होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देखकर बहुत प्रसन्न्ता होती है कि आज के बच्चे अपने करियर के संबंध में बहुत जागरूक हैं। उन्हें पता है कि किस क्षेत्र में भविष्य बनाना है। ई-संवाद में बच्चों ने अपनी बातें कहीं हैं। कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर और कोई सिविल सर्विसेज में जाना चाहता है। इसी प्रकार किसी ने वैज्ञानिक बनने की बात कही है। एक ने फाईन आर्ट में करियर बनाने की इच्छा व्यक्त की है। कोई शिक्षक बनकर और कोई सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे पूर्ण मनोयाग से आगे बढ़ें और मेहनत करें। जरूरत पड़ने पर सरकार और समाज से आवश्यक सहयोग मिलेगा। चमोली जिले के एक बच्चे का सेलेक्शन लंदन स्कूल ऑफ आर्टस में हुआ। उसे वहां भेजने की व्यवस्था की गई। इसी प्रकार निर्धन परिवार की एक छात्रा पढ़ाई के लिए न्यूजीलैंड जाना चाहती थी। पता चलने पर इसकी भी व्यवस्था की गई। जो भी पाना चाहते हैं, उसकी पूरी तैयारी करें। ई-संवाद में विधायक पुष्कर सिंह धामी, यूसार्क के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, वैज्ञानिकों के साथ ही  शिक्षक, छात्र-छात्राओं ने भी प्रतिभाग किया। 

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