चुनाव में दिखे नहीं पर सबसे चर्चित रहे जनरल साहब!

थमी कयासबाजी

  • प्रचार के आखिरी दिन तक पूर्व सीएम खंडूड़ी पर टिकी रही लोगों की निगाहें 
  • इस बार उत्तराखंड की सियासत के मैदान में छाये रहे हरदा और भगतदा 

देहरादून। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूड़ी कहीं नहीं दिखे पर सियासत की हवाओं उनके रुख को लेकर जबरदस्त कयासबाजी का दौर देखने को मिला।
इनके अलावा प्रदेश स्तर के सिर्फ दो ही नेता चुनावी रण में जूझते रहे। भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भगत सिंह कोश्यारी ही पूरे रण में दिखे। जबकि पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक अपने क्षेत्र हरिद्वार व अजय भट्ट नैनीताल में अपने चुनाव में ही फंसे रहे। इसी तरह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह खुद चकराता में उलझे रहे और हरीश रावत नैनीताल में फंसे रहे। कांग्रेस की ओर से सिर्फ नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ही नैनीताल से बाहर देहरादून तक पहुंच पायी।
इस बार दिलचस्प स्थिति यह बनी कि जनरल खंडूड़ी का भाजपा-कांग्रेस दोनों ही इंतजार करते रहे। गढ़वाल के निवर्तमान सांसद व कभी उत्तराखंड की राजनीति की धुरी रहे मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी इस बार चुनावी परिदृश्य से नदारद रहे। वर्ष 1991 के बाद उत्तराखंड में भाजपा के प्रमुख चेहरे बन चुके खंडूड़ी को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच चर्चाएं भी खूब रही। भाजपा का मानना था कि वे पार्टी के प्रचार के लिए जरूर आएंगे। इसे लेकर खंडूड़ी कांग्रेस में भी खासी चर्चा का विषय रहे। उनके बेटे मनीष खंडूड़ी के कांग्रेस में जाने और पौड़ी से लोकसभा में उतरने के बाद कांग्रेस के लोगों को उम्मीद थी कि वे अपने बेटे के लिए एक बार जरूर किसी बड़े मंच से सामने आ सकते हैं। खंडूड़ी ने अपने वेटे को आशीर्वाद तो दिया, लेकिन भाजपा के अपने संबंधों को ज्यादा तवज्जो देते हुए उन्होंने खुद को इस चुनाव से पूरी तरह अलग ही रखा।
चुनाव में सबसे अधिक चर्चाओं में रहने वाले भगतदा और हरदा के बीच चली जुबानी लड़ाई से काफी हद तक चुनावी तनाव भी कम होता दिखा। इनकी जुबानी जंग में कव्वाली जैसी प्रतियोगिता दिखी। शुरुआत सबसे पहले भगतदा की तरफ से हुई। उन्होंने हरदा को हारदा क्या कहा, उसके बाद तो यह जंग रोचक होती चली गयी। हरदा ने तीखा प्रहार करते हुए भगतदा को ‘उज्याड़ खाणी बल्द’ कह दिया। इसके बाद भगतदा ने उन्हें ‘‘एकलू बानर’ क्या कहा कि हरदा ने उसे ही अपने पक्ष में भुनाना शुरू कर दिया। हरदा ने ‘भिजी घुघुत’ की संज्ञा देते हुए भगतदा को उकसाया तो भगत दा ने भी पलटवार में कह दिया कि एकलू बानर चुनाव बाद बाड़े में बंद किया जाएगा। 
बात यही नहीं रुकी। हरदा ने भी जवाब में कहा कि ‘एकलू बानर पार्लियामेंट जाल, भिजी घुघुत बिराव खाल’ कहकर चुनाव के आखिरी दिन से खूब सुर्खियां बटोरीं। लोकसभा के इन चुनावों में भाजपा के किच्छा विधायक राजेश शुक्ला द्वारा हरीश रावत पर की गयी कथित टिप्पणी पर आपत्तियां भी हुई। हरदा ने इसका जवाब तो दिया, लेकिन यह कहकर कि हरीश रावत उन्हें माफ करता है। इसके अलावा बीच चुनाव में भाजपा के दो विधायकों कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन व देशराज कर्णवाल के बीच हुई जुबानी जंग से भाजपा की चुनावी रणनीति पर असर पड़ा। दोनों विधायक पार्टी के लिए काम करने के बजाय आपस में ही लड़ते रहे। यह चुनाव इन सभी बातों के लिए भी याद रखा जाएगा।

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