रामदेव को हाईकोर्ट झटका, कोरोनिल ट्रेडमार्क पर लगी रोक

  • बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के कोरोनिल टैबलेट को लेकर शुरू से हो रहा विवाद
  • आयुष मंत्रालय के जारी किए गए नोटिस व आपत्ति के बाद अब हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
  • चेन्नै की एक कंपनी ने मद्रास हाईकोर्ट में कोरोनिल के ट्रेडमार्क को बताया अपना
  • हाईकोर्ट के 30 जुलाई तक अंतरिम आदेश पर कोरोनिल पतंजलि के ट्रेडमार्क पर रोक

चेन्नई। योगगुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की दवा कोरोनिल को मद्रास हाईकोर्ट से झटका लगा है। अदालत ने बाबा की कोरोनिल दवा के ट्रेडमार्क ‘कोरोनिल’ पर आपत्ति जताते हुए उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह अंतरिम आदेश फिलहाल 30 जुलाई तक के लिए दिया गया है। बाबा के कोरोनिल ट्रेडमार्क को लेकर चेन्नै की एक कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने यह आदेश चेन्नै की कंपनी अरुद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की अर्जी पर दिया है। 30 जुलाई तक के लिए यह अंतरिम आदेश जारी किया गया है। अरुद्रा कंपनी का दावा है कि कोरोनिल वर्ष 1993 से उनका ट्रेडमार्क है। कंपनी के अनुसार उसने 1993 में कोरोनिल-213 एसपीएल और कोरोनिल-92बी का पंजीकरण कराया था और वह तब से उनकी कंपनी इन नाम का नवीकरण करा रही है। यह कंपनी भारी मशीनों और निरूद्ध इकाइयों को साफ करने के लिए रसायन एवं सेनेटाइजर बनाती है।
अरुद्रा कंपनी ने हाईकोर्ट में कहा कि फिलहाल इस ट्रेडमार्क पर 2027 तक हमारा अधिकार वैध है। उल्लेखनीय है कि पतंजलि द्वारा कोरेानिल पेश किए जाने के बाद आयुष मंत्रालय ने एक जुलाई को कहा था कि कंपनी प्रतिरोधक वर्धक के रूप में यह दवा बेच सकती है न कि कोविड-19 के उपचार के लिए। कंपनी ने कोर्ट में यह भी दावा किया कि पतंजलि की ओर से बेची जाने वाली दवा का मार्क ठीक उनकी कंपनी की तरह ही है। उन्होंने कहा कि बेचे जाने वाले प्रॉडक्ट भले ही अलग हों लेकिन ट्रेडमार्क एक जैसा है, जिसके बाद हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देकर कोरोनिल के ट्रेडमार्क पर रोक लगा दी। इससे बाबा रामदेव की कंपनी को बड़ा झटका लगा है।

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