सियासत की शतरंज
- वाराणसी लोकसभा सीट से गठबंधन को लगा बड़ा झटका
- रिटर्निंग ऑफिसर ने तेज को नोटिस का जवाब बुधवार तक देने को कहा था
- मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में सपा ने ऐन मौके पर बदला था अपना प्रत्याशी
- बोले तेज बहादुर, मेरा पर्चा गलत तरीके से किया रद्द, इसके खिलाफ जाउंगा सुप्रीम कोर्ट
वाराणसी। इस लोकसभा सीट से सपा के प्रत्याशी तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी रद्द हो गई है। निर्वाचन अधिकारी ने आज तेज बहादुर का पर्चा रद्द कर दिया। रिटर्निंग ऑफिसर ने उनसे बुधवार तक नोटिस का जवाब देने को कहा था। उधर नामांकन रद्द होने के बाद तेज बहादुर ने कहा, ‘मेरा पर्चा गलत तरीके से रद्द किया गया है। मुझे मंगलवार शाम 6:15 बजे तक सबूत देने के लिए कहा गया था, मैंने सबूत दिए भी। इसके बावजूद मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।’ तेज बहादुर मोदी के सामने वाराणसी से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। गौरतलब है कि नामांकन पत्रों की जांच के दौरान तेज बहादुर द्वारा दाखिल दो नामांकन पत्रों में बीएसएफ से बर्खास्तगी की दो अलग-अलग जानकारी सामने आई थी। इसके बाद उन्हें 24 घंटे के अंदर बीएसएफ से एनओसी लेकर जवाब देने को कहा गया था। तेज बहादुर को दिये नोटिस में कहा गया था कि वह बीएसएफ से एनओसी लेकर आएं, जिसमें यह साफ किया गया हो कि उन्हें किस वजह से नौकरी से बर्खास्त किया गया था। तेज ने हाल ही में दावा किया था कि करीब दस हजार पूर्व सैनिक वाराणसी आकर ‘असली’ चौकीदार के पक्ष में और ‘नकली’ चौकीदार के खिलाफ घर-घर प्रचार करेंगे। इससे पहले सपा ने शालिनी यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन 29 अप्रैल को सपा ने अपना उम्मीदवार बदलकर तेज बहादुर के नाम का ऐलान किया था। शालिनी पहले कांग्रेस में थीं और वाराणसी में मेयर के चुनाव में उन्हें 1.13 लाख वोट मिले थे। हालांकि शालिनी ने भी 29 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल किया था। तेज बहादुर ने जनवरी 2017 में बीएसएफ जवानों को मिल रहे खाने को घटिया बताते हुए कई वीडियो बनाए थे। सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल हो जाने से तेज बहादुर चर्चा में आ गए। वीडियो में तेज बहादुर ने अपने अफसरों पर जवानों को घटिया खाना देने का आरोप लगाया था। 29 बीएसएफ बटालियन के पूर्व जवान तेज बहादुर ने आठ मिनट का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। तेज बहादुर ने कहा था कि उसने घटिया खाने की शिकायत कई बार की थी, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसे मजबूरी में वीडियो डालना पड़ा। हालांकि इस मामले में जांच के बाद तेज बहादुर को बर्खास्त कर दिया गया।