‘कैंडिडा ऑरिस’ ने सारी दुनिया में मचाया तहलका!

खतरे की घंटी

  • सभी देशों में लोगों को चुपचाप अपनी चपेट में लेता रहा है यह जानलेवा फंगस, सारी दवाइयां हुईं फेल
  • ब्लडस्ट्रीम में पहुंचकर यह शरीर में पैदा करता है खतरनाक इन्फेक्शन, इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं 
  • इससे पीड़ित व्यक्ति की भले ही मौत हो जाए लेकिन जिंदा रहता है यह फंगस और दूसरों लोगों की भी खैर नहीं
  • सबसे पहले इसकी खोज वर्ष 2009 में जापान के एक मरीज में हुई थी। अब दुनियाभर में सामने आ रहे हैं ऐसे मामले
  • अमेरिका में यूएस में इससे पीड़ित 587 मरीज सामने आये, इस फंगस ने भारत और पाकिस्तान में भी दस्तक

आजकल जहां मेडिकल साइंस उंचाइयों की चरम सीमा छू रही है और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नये आयाम गढ़े जा रहे हैं तो एक ऐसे फंगस ने खुद को इस तरह तैयार कर लिया है जिस पर किसी भी दवाई का प्रभाव नहीं होता। यह फंगस खून में पहुंच कर शरीर में खतरनाक इन्फेक्शन पैदा करता है। अभी तक इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। सबसे खतरनाक बात यह है कि इससे पीड़ित व्यक्ति की भले ही मौत हो जाए लेकिन फंगस नहीं मरता और दूसरों के शरीर में घुसकर उनकी भी जान ले सकता है। इस फंगस को ‘कैंडिडा ऑरिस’ नाम दिया गया है। यह फंगस खासतौर पर उन लोगों को अपनी चपेट में लेता है जिनकी प्रतिरोध क्षमता कमजोर है। पांच साल पहले इसके मामले वेनेजुएला के नवजात शिशु संबंधी यूनिट और स्पेन के एक अस्पताल में जांच के दौरान सामने आये थे। फंगस के कारण एक ब्रिटिश मेडिकल सेंटर को अपनी आईसीयू तक बंद कर देनी पड़ी थी। वहीं इस फंगस ने भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी पैर जमाना शुरू कर दिए हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गत वर्ष मई में ब्रुकलीन के माउंट सिनाई हॉस्पिटल फॉर एब्डॉमिनल सर्जरी में एक बुजुर्ग व्यक्ति को भर्ती किया गया था। खून की जांच में सामने आया कि वह एक नए तरह के फंगस से पीड़ित है जिसके बारे में पहले से कुछ ज्यादा पता नहीं था। जो अभी तक जितना रहस्यमय है उतना ही जानलेवा भी है। टेस्ट रिपोर्ट सामने आने के बाद डॉक्टरों ने मरीज को आईसीयू में भर्ती कर दिया। कैंडिडा ऑरिस से पीड़ित बुजुर्ग की करीब 90 दिन बाद मौत हो गई। इसके बाद जांच से पता चला कि मरीज को जिस कमरे में रखा गया था वहां की हर चीज पर यह फंगस जीवित अवस्था में चिपका हुआ था। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने वहां की सफाई के लिए स्पेशल क्लीनिंग इक्विपमेंट का इस्तेमाल किया और फंगस को खत्म करने के लिए सीलिंग से लेकर फ्लोर की टाइलें तक उखाड़नी पड़ गई। अस्पताल के प्रबंधक डॉ स्कॉट लॉरिन के अनुसार उस कमरे में मौजूद हर चीज कैंडिडा ऑरिस की मौजदूगी पाई गईं।
चिकित्सकों के अनुसार इस फंगस पर ऐंटीफंगल दवाओं का भी असर नहीं होता। इस वजह से यह मानव जाति के लिए खतरा बन गया है जो दवा प्रतिरोधी हैं। हालांकि इसके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। इसे गोपनीय बनाकर भी रखा जा रहा है। इस फंगस के बारे में अस्पताल और सरकार इसलिए बताने से बच रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इसके बारे में जानकारी देने पर उन्हें इन्फेक्शन का केंद्र माना जाने लगेगा। राज्य सरकारों ने यह तो माना कि उनके पास ऐसे मामले आए लेकिन उन्होंने और कोई जानकारी साझा नहीं की।
गौरतलब है कि यह फंगस अस्पताल में मौजूद लोगों के हाथों और उपकरणों, बोट से ले जाए जाने वाले मीट, खाद से पैदा की गई सब्जियों, सीमा के पार यात्रा कर रहे यात्रियों और अन्य वस्तुओं के आयात-निर्यात व इससे ग्रस्त मरीज के माध्यम से घर और अस्पताल में आने-जाने से आसानी से सभी जगह फैलता जाता है।
अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक कैंडिडा ऑरिस से पीड़ित आधे मरीजों की 90 दिनों में मौत हो गई। यह दुनियाभर के अस्पतालों में चुपचाप फैलता जा रहा है लेकिन सरकारें मरीजों और लोगों को डराने की बात कहते हुए इसे लेकर जानकारी साझा करने के लिए तैयार नहीं हैं। अमेरिका  में भी इसके 587 रोगियों की पहचान हो चुकी है। कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सकों और अन्य स्टाफ को भी अपनी सुरक्षा का डर रहता है। इसके बावजूद अभी तक दुनिया में मौजूद विशेषज्ञ इस बात का पता नहीं लगा सके हैं कि यह फंगस आया कहां से है। इसके फैलने से रोकने और ट्रीटमेंट को लेकर रिसर्च शुरू की जा चुकी है।

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