लंबी उम्र चाहिये तो बढ़ायें रफ्तार!

बदलें जीवनशैली

  • नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च और लीसेस्टर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोध का खुलासा
  • तेज चलने वालों के मुकाबले दोगुनी होती है धीरे चलने वालों के हार्ट अटैक से मौत होने की आशंका 
  • धीरे चलने वालों के मुकाबले ज्यादा जीते हैं ब्रिस्क वॉकर्स, एक मिनट में चलते हैं 100 कदम
  • शोधकर्ताओं ने अनुसंधान के लिये करीब 4 लाख 75 लोगों के आंकड़े का किया इस्तेमाल 

लीसेस्टर (ब्रिटेन)। धीरे चलने वालों के मुकाबले तेज चलने वाले लोगों के लंबी उम्र तक जीने की संभावना ज्यादा होती है। एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च और लीसेस्टर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के इस बाबत कराये गये शोध के मुताबिक ब्रिस्क वॉकर्स यानी तेज कदम चलने वाले लोग तीन मील प्रति घंटे की रफ्तार से एक मिनट में 100 कदम तक चलते हैं और धीरे चलने वालों से आगे निकल जाते हैं। वहीं, धीरे चलने वाले लोग एक या दो मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलते हैं और एक मिनट में महज 50 कदम ही चल पाते हैं।
शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए करीब 4 लाख 75 लोगों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया। जिनका अध्ययन करने पर पता चला कि चलने की रफ्तार किसी भी इंसान की लंबी उम्र से  संबंधित है और यह बात कम वजन, सामान्य और ज्यादा वजन वाले सभी लोगों पर लागू होती है। वहीं धीरे चलने वाले कम वजनी लोगों के लंबी उम्र तक जीने की संभावना सबसे कम रहती है। ऐसे पुरुषों की औसतन आयु 64 साल और महिलाओं की औसत उम्र 71 साल तक होती है। 
दिलचस्प बात यह है पहली बार तेज कदमों का जीवन शक्ति या उर्जा से संबंध को लेकर ऐसा कोई अध्ययन किया गया है। जबकि इससे पहले के अध्ययनों में आयु का संबंध बॉडी मास इंडेक्स और फिजिकल फिटनेस से ही बताया गया था। लीसेस्टर यूनिवर्सिटी के प्रो. टॉम येट्स कहते हैं कि हमारा शोध लोगों की जीवन शक्ति में वजन के मुकाबले शारीरिक फिटनेस की अहमियत बताने में मदद करती है। 
वह कहते हैं कि फिजिकल फिटनेस बॉडी मास इंडेक्स की तुलना में उम्र बताने का अच्छा सूचक हो सकता है। अध्ययन के जरिए तो हम यह तथ्य भी जान पाए कि तेज चलने वालों के मुकाबले धीरे चलने वालों के हार्ट अटैक से मौत होने की आशंका दोगनी होती है। प्रो. येट्स कहते हैं कि हमें लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए कि तेज चाल से उनकी जिंदगी में कुछ साल और बढ़ सकते हैं। अगर उन्हें धीरे-धीरे चलने की आदत है तो वे इसे बदलना शुरू कर दें क्योंकि यह उनकी सेहत के साथ ही लंबी उम्र के लिए भी फायदेमंद है।

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