भाजपा ने किया वंशवाद पर प्रहार!

बदलाव की बयार

  • उत्तराखंड के पूर्व सीएम खंडूड़ी के बेटे और हुकुम सिंह की बेटी को नहीं मिला लोकसभा का टिकट
  • मध्यप्रदेश के नेता विपक्ष गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक को भी टिकट से किया इनकार
  • छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह चुनावी समर से बाहर

भाजपा हाईकमान ने भले ही गत मंगलवार को जारी सूची में मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी की सीटों की अदला-बदली कर चुनाव लड़ने का अवसर दिया हो, लेकिन ज्यादातर नेताओं के परिजनों को ऐसा मौका नहीं मिल पाया। इनमें से एक बड़ा नाम बेंगलुरू साउथ सीट से भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रहे अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी हैं। पार्टी ने उनकी बजाय 28 साल के तेजस्वी सूर्या को चुनाव मैदान में उतारा है।
इस बारे में भाजपा आला कमान का मानना है कि पार्टी में वंशवाद को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसलिये पार्टी ने अब तक कई दिग्गज नेताओं के बेटों और बेटियों को टिकट देने से इनकार कर दिया जो संसदीय सीट पर विरासत संभालने के लिए दावेदारी कर रहे थे। कुछ माह पहले ही केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का निधन हुआ था, जिसके बाद यह माना जा रहा था कि उनकी पत्नी तेजस्विनी को ही मौका दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हालांकि मेनका गांधी और वरुण गांधी को अपनी-अपनी सीटें बदलने का मौका दिया गया है। वरुण अपनी मां की पीलीभीत सीट से उतरेंगे, जबकि मेनका को वरुण की सुल्तानपुर सीट पर भेजा गया है। 
इस बारे में मोदी और शाह का स्पष्ट संदेश है कि उन सीटों पर नए प्रत्याशियों को उतारा जाए, जो किसी एक नेता की जागीर जैसी बन गई हैं। इसी क्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम खंडूड़ी और और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के बेटों को भी टिकट नहीं दिया गया है।
बिहार की मधुबनी लोकसभा सीट से भाजपा ने वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक को उतारा है, लेकिन दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की बेटी प्रतिभा और जयंत को भी चुनावी समर से दूर रखा गया है। हालांकि उत्तराखंड में पूर्व सीएम खंडूड़ी के बेटे को जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने कांग्रेस का रुख कर लिया। मध्य प्रदेश में नेता विपक्ष गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक के टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।
भाजपा के प्रत्याशियों की नई सूची में कैराना से सांसद और पश्चिम यूपी में पार्टी का बड़ा चेहरा रहे हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को भी टिकट नहीं दिया और उनके स्थान पर प्रदीप सिंह को मौका दिया गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने कई ऐसे प्रत्याशियों को उतारा था जो परिवार की राजनीतिक विरासत के चलते आए थे। इसके लेकर कार्यकर्ताओं में कुछ नाराजगी भी थी, लेकिन इनमें से ज्यादातर लोगों को अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं दी गई है। हालांकि हमीरपुर के सांसद और पूर्व हिमाचल सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर इनमें अपवाद हैं। राकेश सिंह के मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा में चीफ व्हिप भी बनाया था।
उल्लेखनीय है कि मोदी अकसर अपने भाषणों में कांग्रेस समेत विपक्षी नेताओं पर वंशवाद को लेकर हमला बोलते रहे हैं। कांग्रेस में आजादी के बाद से ही नेहरू-गांधी परिवार के वर्चस्व को मुद्दा बनाने वाली भाजपा नेतृत्व अब खुद पर वंशवाद के आरोप से मुक्त होना चाहता है।

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