सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप का शिकार हुई पीड़िता को 17 साल बाद मिला इंसाफ
- सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में आईपीएस आरएस भगोरा को दो पद डिमोट करने के आदेश को भी दी मंजूरी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए गुजरात दंगों के दौरान वर्ष 2002 में हुए गैंगरेप मामले में गुजरात सरकार को पीड़ित बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी और घर देने का आदेश दिया है। अदालत ने सबूत मिटाने के लिए आईपीएस आरएस भगोरा को दो पद डिमोट करने की राज्य सरकार की सिफारिश को मान लिया है। भगोरा अगले माह 31 मई को रिटायर होने जा रहे हैं।
हालांकि सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कदम उठाए गए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गत दिनों गुजरात सरकार से वर्ष 2002 के बिलकिस बानो मामले में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा था।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बिलकिस बानो की ज्यादा मुआवजा मांगने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल हैं। बिलकिस ने गुजरात सरकार की पांच लाख रुपये का मुआवजा देने संबंधी पेशकश मानने से पीठ के समक्ष इनकार कर दिया था।
इससे पूर्व गुजरात हाईकोर्ट ने चार मई 2017 को सबूतों से छेड़छाड़ करने के तहत पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों को दोषी ठहराया था। गौरतलब है कि गुजरात में अहमदाबाद के निकट रणधीकपुर गांव में भीड़ ने तीन मार्च 2002 को बिलकिस के परिवार पर हमला किया था। इस दौरान पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया जबकि उसके परिवार के छह सदस्य किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग निकलने में सफल हो गए थे।