भूस्खलन रोकने में वरदान होगी जापानी तकनीक

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देहरादून: प्रदेश संवेदनशील आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भूस्खलन को रोकने जापानी ट्रीटमेंट तकनीक वरदान हो सकती है। यह बात सचिवालय में जीका द्वारा पोषित तकनीकी सहयोग परियोजना की संयुक्त समन्वय समिति की बैठक में मुख्य सचिव ने कही।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। आपदा प्रभावित क्षेत्र के ट्रीटमेंट में जापान की तकनीकी बेहतर साबित हो सकती है। उन्होंने जीका द्वारा प्रस्तावित लैंड-स्लाइड्स स्थलों के उपचार परियोजना के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने जीका की टीम से परियोजना के कार्यक्षेत्र एवं अवधि में विस्तार करने की बात भी कही। जीका की टीम की ओर से तोरू उमाची ने लैंड-स्लाइड्स क्षेत्र के उपचार के लिए जापान द्वारा अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकी के बारे में बिस्तार जानकारी दी।
बैठक में मुख्य परियोजना निदेशक जीका अनूप मलिक ने समिति बताया कि तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा उत्तराखण्ड के वन क्षेत्रों में ऋषिकेश के निकट नीरगाड़, रूद्रप्रयाग के निकट जावड़ी तथा नैनीताल के निकट पाडली की लैंड-स्लाइड्स को जापान की तकनीकों का उपयोग करते हुए उपचार हेतु विभिन्न संरचनाओं के डिजाइन एवं विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गयी है। तकनीकों के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार के विशेष प्रशिक्षण प्राप्त टीम ने उत्तराखण्ड के 05 अन्य चयनित लैण्ड-स्लाइड्स यथा कालसी में जोकला, मसूरी में कम्पनी गार्डन, उत्तरकाशी में मल्ला गांव, पिथौरागढ़ में ऊंचाकोट, अल्मोड़ा में ताड़ीखेत के लिए जापानी विशेषज्ञों की देख-रेख एवं मार्गदर्शन में उपचार कार्य की योजनायें तैयार की है। इन परियोजना का ट्रीटमेंट प्रदेश सरकार की विशेष प्रशिक्षण प्राप्त टीम करेगी।
बैठक के दौरान सचिव वित्त अमित नेगी ने नैनीताल स्थित बलियानाला के उपचार में भी जापान के तकनीकी सहयोग की आवश्यकता बतायी, जिस पर अग्रेतर कार्यवाही प्रस्तावित की गयी है। जापानी विशेषज्ञों द्वारा तीन लैंड-स्लाइड्स के लिए तैयार किये गये उपचार कार्य तथा परियोजना की प्रशिक्षित टीम द्वारा पांच लैंड-स्लाइड्स के उपचार के लिए तैयार किये गये प्लान को संयुक्त समन्वय समिति के समक्ष विवरण प्रस्तुत किये गये।
बैठक में प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता जयकुमार शर्मा एवं निदेशक आपदा डा0 पीयूष रौतेला, प्रभारी वनाधिकारी उमेश चन्द्र जोशी एवं परियोजना से सम्बन्धित अधिकारी आदि मौजूद रहे।

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