- राजस्थान में पहली बार 24 घंटे में एक्शन, मंत्री धारीवाल ने कहा- यह रेयरेस्ट मामला
जयपुर। एक बार फिर खाकी शर्मसार हुई है। यहां रिश्वत के बदले अस्मत मांगने वाले एसीपी कैलाश बोहरा को राजस्थान सरकार ने पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया है। आज सोमवार को संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में इसकी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि कैलाश बोहरा का प्रकरण रेयरेस्ट रेयर मामला है। बोहरा को बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब किसी भी वक्त बर्खास्तगी के आदेश निकल सकते हैं। धारीवाल ने बताया कि किसी को बर्खास्त करने से पहले प्रक्रिया अपनानी होती है। पहले उसे नोटिस दिया जाता है, लेकिन संविधान का अनुच्छेद-311 कहता है कि अगर कोई गंभीर मामला है तो उस प्रक्रिया को परे रखकर सीधे बर्खास्त किया जा सकता है।
इससे पहले मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह विभाग के संयुक्त शासन सचिव रामनिवास मेहता ने सोमवार सुबह ऑफिस खुलने के पहले ही निलंबन आदेश जारी किए थे। राजस्थान में पहली बार 24 घंटे में दागी अफसर को सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया गया है। एसीपी कैलाश को रविवार दोपहर बाद एसीबी ने रिश्वत के बदले अस्मत मांगते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। बोहरा के पास महिला अत्याचार निवारण यूनिट की प्रभारी की जिम्मेदारी थी। प्रभारी ही पीड़िता से जांच करने के बदले अस्मत मांग रहा था।
विधानसभा में कैलाश बोहरा को बर्खास्त करने की घोषणा के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने दागी अफसरों को फील्ड पोस्टिंग न देने की घोषणा करने को कहा। इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। कुछ देर हंगामे के बाद मामला शांत हुआ। सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही एसीपी कैलाश बोहरा के पीड़िता से रिश्वत के बदले अस्मत मांगने का मामला उठा था।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए मामला उठाते हुए कहा कि कल (रविवार) खाकी वर्दी शर्मसार हुई है। जयपुर कमिश्नरेट में महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए बनी यूनिट के प्रभारी ने ही महिला से रिश्वत से बदले अस्मत मांग ली।
उन्होंने कहा कि एक पीड़िता जिसने जुलाई में एफआईआर करवाई, एसीपी कैलाश बोहरा पांच माह तक पीड़िता से रिश्वत लेता रहा। संवेदनहीनता की हद देखिए पीड़िता की सैलरी मात्र 16 हजार रुपए थी और वह हर माह इस बेगैरत एसीपी को 10 हजार रुपए रिश्वत दे रही थी।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह पक्ष-विपक्ष का मामला नहीं है। जिस तरह की घटना थाने में घटी है वह बहुत गंभीर है। यह घटना अगर बाहर होती तो बात अलग थी, लेकिन थाने के अंदर ही पीड़िता से अस्मत मांगने की घटना को हल्के में नहीं लिया जा सकता। सदन में चर्चा होने के बाद भी अगर एक्शन नहीं होगा तो जनता माफ नहीं करेगी।