आप करदाता हैं तो हो जायें सावधान!

आगामी 1 अप्रैल से लागू होने जा रहे आयकर के नियमों से जुड़े नौ प्रमुख बदलाव

अगर आप करदाता हैं तो आगामी एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष में टैक्स से जुड़े प्रमुख नौ बदलावों के बारे में आपको जानकारी रखनी जरूरी है। आइए आपको बताते हैं उन बदलावों के बारे में।

  1. पांच लाख तक की टैक्सेबल आय पर जीरो टैक्स केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में पांच लाख रुपये की टैक्सेबल आय को कर मुक्त कर दिया है। इसलिए अगर आपकी आय इस दायरे में आती है तो आपको इनकम टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी।
  2. स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़कर 50 हजार रुपये हो जाएगी। जिससे नए वित्त वर्ष में आप ज्यादा टैक्स बचा पाएंगे, क्योंकि अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है।
  3. केंद्र सरकार की अंतरिम बजट की घोषणा के मुताबिक, अगर आपके पास दो घर हैं और दूसरा घर खाली है, तो उसे भी सेल्फ-ऑक्युपाइड (अपने ही अंदर) ही माना जाएगा और आपको नोशनल रेंट (काल्पनिक किराये) पर टैक्स नहीं देना होगा। अब तक अगर आपके पास एक से अधिक घर हैं तो उनमें से एक ही घर सेल्फ-ऑक्युपाइड और दूसरा घर किराये पर दिया हुआ माना जाता है, जिसके नोशनल रेंट पर टैक्स देना पड़ता है।
  4. ब्याज से होने वाली आय पर स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) की सीमा सालाना 10 हजार रुपये से बढ़कर 40 हजार रुपये हो गई है। इससे उन वरिष्ठ नागरिकों तथा छोटे जमाकर्ताओं को फायदा होगा जो बैंकों एवं डाकघरों की जमाराशि के ब्याज पर निर्भर करते हैं। अभी तक ये जमाकर्ता 10 हजार रुपये प्रति वर्ष तक की ब्याज आय पर काटे गये कर का रिफंड मांग सकते थे।
  5. रिजर्व बैंक ने पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन और एमएसएमई कर्ज पर ‘फ्लोटिंग’ ब्याज दरें एक अप्रैल से रेपो रेट या सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर प्रतिफल जैसे बाहरी मानकों से संबद्ध कर दिया है।
  6. जिन व्यक्तियों के पास लिस्टेड कंपनियों के शेयर फिजिकल फॉर्म में हैं, वे एक अप्रैल के बाद उन्हें न तो ट्रांसफर कर पाएंगे और न ही बेच पाएंगे। इससे पहले यह सीमा 5 दिसंबर, 2018 थी। जून में सेबी ने एलओडीआर रेग्युलेशंस में बदलाव किया था। अभी 3.33 लाख करोड़ या देश में लिस्टेड कंपनियों के कुल मार्केट कैप का 2.3 पर्सेंट हिस्सा फिजिकल शेयरों के रूप में है। कई निवेशकों, खासतौर पर बुजुर्गों को अब फिजिकल शेयरों को डीमैट फॉर्म में बदलना पड़ेगा, तभी वे उन्हें ट्रांसफर कर पाएंगे या बेच पाएंगे।
  7. जीएसटी काउंसिल ने 24 फरवरी को अपनी 33वीं बैठक में और उसके बाद स्पष्टीकरण में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए जीएसटी की नई दरें जारी की हैं, जो एक अप्रैल से लागू हो जाएंगी। एक अप्रैल से निर्माणाधीन प्रॉजेक्टों पर डेवलपरों और बिल्डरों के पास जीएसटी के दो विकल्प होंगे। या तो वे इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा के साथ 12 फीसद जीएसटी का विकल्प चुनेंगे या फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना पांच फीसद जीएसटी के विकल्प का चयन करेंगे।
    किफायती मकानों के मामले में जीएसटी की दर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ आठ फीसद और इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना एक फीसद होगी। एक अप्रैल से शुरू होने वाले किसी भी नए प्रॉजेक्ट पर जीएसटी की नई दरें लागू करना अनिवार्य होगा।
  8. जो करदाता अपना मकान बेच चुके हैं, उनके पास टैक्स से बचने के लिए अपनी एलटीसीजी को एक मकान के बदले दो मकानों में निवेश करने का विकल्प होगा। हालांकि एलटीसीजी की रकम दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए और इसका फायदा आप एक बार ही उठा सकते हैं।
  9. इक्विटी शेयर और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड पर एलटीसीजी की घोषणा 2018 के बजट में की गई थी। अगर आपने उन इक्विटी शेयरों और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स को वित्त वर्ष 2018-19 में बेचा है और अगर उसे आपने एक साल से अधिक वक्त तक अपने पास रखा है तो उस पर आपको वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त टैक्स का भुगतान करना होगा। अगर यह लाभ एक लाख रुपये से अधिक होगा तो एलटीसीजी पर 10 फीसद की दर से टैक्स लगेगा और इस पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा।

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