देवी के कोप से हुई रिश्तेदारों की मौत तो खोला मूर्ति चोरी का राज!

अजब गजब

  • मदुरै के मंदिर से वर्ष 1915 में चोरी हुई मूर्ति को पुलिस ने बरामद किया
  • दीवार के अंदर छिपाई गई थी डेढ़ फीट लंबी द्रौपदी अम्मन की मूर्ति
  • पुजारी करुप्पासामी पर था चोरी का आरोप, उनके पोते ने किया खुलासा
  • मरुगेसन ने देवी के क्रोध को बताया कई रिश्तेदारों की मौत की वजह 

मदुरै। यहां एक मंदिर से वर्ष 1915 में चुराई गई 700 साल पुरानी मूर्ति एक घर में दीवार के अंदर छिपाई गई थी। ब्रिटिश पुलिस ने काफी प्रयास किये परंतु चोरी का खुलासा नहीं हो पाया। मदुरै के मेलूर में स्थित मंदिर के दो पुजारियों में से एक करुप्पासामी पर मूर्ति चुराने का आरोप लगा था। अब करुप्पासामी के पोते ने मूर्ति चोरी का राज पुलिस के सामने उगल दिया। गत रविवार को पुलिस ने डेढ़ फीट उंची द्रौपदी अम्मन की मूर्ति को बरामद कर लिया और इसे मंदिर प्रशासन को सौंप दिया गया। मंदिर में सालाना उत्सव से ठीक एक दिन पहले यह मूर्ति बरामद हुई है। इससे यहां खुशी का माहौल है। नगाईकडाई स्ट्रीट में स्थित यह मंदिर करीब 800 साल पुराना बताया जाता है।
घटनाक्रम के अनुसार करुप्पासामी के पोते मुरुगेसन (60 वर्ष) छह महीने पहले इस मंदिर में दर्शन के लिए आये थे। अब नामक्कल में रह रहे मुरुगेसन ने बताया था कि उसे ऐसा महसूस होता है कि द्रौपदी अम्मन देवी के कोप की वजह से उसके कई रिश्तेदारों की मौत हो चुकी है और वह खुद भी बीमार रहता है। इसके बाद मुरुगेसन ने मंदिर के पुजारी नारायणन को बताया कि जब वह छोटा था तो अपने बाबा और पिता को घर में एक दीवार के पास पूजा करते देखता था।
मूर्ति विभाग के डीएसपी वी मलयसामी ने बताया कि जब मुरुगेसन ने द्रौपदी अम्मन देवी की मूर्ति के बारे में खुलासा किया तो गांव वाले अपनी देवी की मूर्ति वापस पाने के लिए वहां पहुंच गए। मकान के नये मालिक मचाकलाई को पुलिस द्वारा दीवार तोड़ने में कोई समस्या नहीं थी क्योंकि वह खुद घर को गिराने की तैयारी कर रहे थे। मुरुगेसन ने जहां बताया था ठीक उसी जगह से मूर्ति बरामद हुई।
मंदिर के रिकॉर्ड में मूर्ति का जिक्र है। इसके मुताबिक मूर्ति में तीसरी आंख भी थी। जब बरामद हुई मूर्ति की छानबीन की गई तो इसकी तस्दीक हुई। ग्रामीण मूर्ति के मिलने से काफी खुश हैं और वह एक शानदार उत्सव की तैयारी कर रहे हैं।
मूर्ति विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि करुप्पासामी ने दूसरे पुजारी से झगड़े की वजह से मूर्ति चुरा ली थी। हालांकि उसी साल (1915) में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी और ब्रिटिश पुलिस ने काफी जांच पड़ताल की लेकिन मामला सुलझ नहीं सका था। इस दौरान करुप्पासामी ने दीवार को खोदकर उसके अंदर मूर्ति रखने के बाद फिर से दीवार पर प्लास्टर कर दिया था और वहां खड़े होकर पूजा करते रहे थे।

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