हरक गुस्से में क्यों !

देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार में कद्दावर काबीना मंत्री डा हरक सिंह रावत क्या एक बार फिर से उत्तराखंड की राजनीति में सनसनी फैलाने की तैयारी में जुट गये हैं? पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम पर नजर डाली जाए तो कई वाकये इसकी आहट दे चुके हैं। हरक के तल्ख तेवर जहां अपनी ही सरकार को परेशानी में डालने वाले नजर आ रहे हैं वहीं अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस के प्रति उनका बदला हुआ दृष्टिकोण भी कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।
राजनीतिक गलियारों में हरक के इन बयानों से कई तरह के निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। कहीं यह गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट के लिये तो प्रेसर टैक्टिस तो नहीं ? क्योंकि गढ़वाल संसदीय सीट पर अभी तक भाजपा की ओर से कोई ऐसा बड़ा चेहरा सामने नहीं दिख रहा जिसने इस सीट पर खुलकर दावेदारी की हो। वर्तमान सांसद भुवनचंद्र खंडूडी की बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के चलते यह करीब-करीब स्पष्ट हो चुका है कि खंडूडी न तो अब चुनाव लड़ेंगे और न ही पार्टी उन्हें टिकट देने जा रही है। ऐसे में अपनी ही सरकार के लिये समय समय पर परेशानी खड़ी करने के पीछे शायद हरक सिंह की मंशा लगती है कि पार्टी उन्हें लोकसभा के जरिये केंद्रीय राजनीति में उतार दे।
राजनीति के जानकार यह भी मान रहे हैं कि बार-बार सरकार पर सवाल उठाने से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उन्हें प्रदेश की राजनीति से दूर भेजने पर सहमत हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि हरक सिंह त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद से ही सुर्खियों में है। मंत्री बनने के तुरंत बाद वह दमयंती रावत को अपने विभाग में ले जाने के चलते दोबारा चर्चाओं में आये थे। शिक्षा विभाग से एनओसी को लेकर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय से उनका सीधा टकराव हो गया था। उसके बाद निकाय चुनाव में कोटद्वार के मेयर प्रत्याशी को लेकर भी उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पर निशाना साधने में कोई कोर कसर नहीं रखी। यही नहीं उन्होंने अपनी विधानसभा क्षेत्र में इस प्रतिष्ठित चुनाव में कोई रुचि नहीं दिखाई जिससे भाजपा को कोटद्वार का मेयर पद गंवाना पड़ा।
हरक सिंह कई बार अपनी पीड़ा सार्वजनिक रूप से इस तरह जाहिर कर चुके हैं कि वह उत्तर प्रदेश के समय से ही मंत्री हैं और पिछले 28 साल से मंत्री के पद पर ही काबिज होते आ रहे हैं इसके बावजूद उनका प्रमोशन नहीं हो हुआ है। गत दिनों भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह त्रिवेंद्र सरकार के दो साल के काम की खुलकर तारीफ कर चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को रुद्रपुर में त्रिवेंद्र सिंह द्वारा किसानों के लिये शुरू की गई दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के शुभारंभ के मौके पर उनकी खूब तारीफ की। दूसरी ओर बीते बुधवार को हरक सिंह ने वन विभाग के अधिकारियों के एक कार्यक्रम में त्रिवेंद्र सरकार के दो साल के कार्यकाल पर ही सवाल उठा दिये। सवाल उठाने का समय और जगह इस रूप में माकूल नहीं कहे जा सकते क्योंकि लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है और छोटे कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता तक सभी अपनी अपनी सरकारों के काम को जनता के सामने बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। ऐसे में हरक सिंह का यह राग भले ही बेमौसमी लग रहा हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हरक एक तीर से कई निशाने साधने की फिराक में हैं।
हरक के हालिया बयानों पर गौर किया जाये तो जहां एक ओर उन्होंने अपनी पार्टी और सरकार को परेशानी में डाला वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को संजीवनी देने से भी वह नहीं चूके। उन्होंने मुक्त कंठ से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ ऐसे मौसम में की जब भाजपा के आला नेताओं से लेकर एक अदना सा कार्यकर्ता भी राहुल गांधी पर राफेल डील मामले में लगातार झूठ बोलने के आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में हरक के बयानों को क्या यह माना जाये कि वह अपना बेहतर भविष्य कांग्रेस में देख रहेे हैं! यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि हरक का अब तक का राजनीतिक सफर कई पार्टियों से होता हुआ भाजपा तक पहुंचा है और आगे वह कहां जाएंगे, यह उन्हें खुद नहीं पता क्योंकि जब कोई पत्रकार उनसे इस बारे में पूछता है तो वह पलटकर जवाब देते हैं कि भाई कुछ दिन पहले आप भी तो किसी और अखबार में थे और कल कहीं और चले जाएंगे। यह सब तो चलता रहता है।
अब बड़ा सवाल यह है कि हरक सिंह क्या फिर से उसी कांग्रेस में वापसी की तैयारी कर रहे हैं जिसकी बहुमत की सरकार को उन्होंने 2015 में बगावत करके गिरा दिया था। उस समय कांग्रेस से बगावत करने वाले सभी विधायकों हरक सिंह, विजय बहुगुणा, सुबोध उनियाल, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, उमेश शर्मा काउ, शैला रानी रावत, यशपाल आर्य, प्रदीप बत्रा और शैलेंद्र मोहन सिंघल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा था। ऐसे में क्या कांग्रेस उस बगावत के नायक रहे हरक सिंह रावत या इनमें से किसी और के लिये रेड कार्पेट बिछाएगी? बहरहाल यह तो भविष्य ही बताएगा कि हरक सिंह के इन तल्ख तेवरों का असली राज क्या है?

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