सैकड़ों रणबांकुरों की धरती है चमोली का सवाड़ गांव

  • चमोली ​जिले में देवाल विकासखंड के इस गांव के हर परिवार से लोग दे रहे सेना में सेवा
  • सैनिक स्मृति केंद्र और विश्रामगृह के लिये सरकार ने मंजूर किये है एक करोड़ रुपये

गांव सवाड़ को सैनिकों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता हैंं। यहां के कण—कण में और यहां के लोगों की रग—रग में राष्ट्र सेवा का भाव समाया हुआ है। चमोली जिले के सवाड़ गांव का सेना और राष्ट्रीयता के भाव से नाता प्रथम विश्वयुद्ध से ही रहा है। वर्तमान में भी यहां से 110 जवान भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा कर रहे हैं। सेना को सम​र्पित इस गांव के लिये सरकार ने एक बड़ा तोहफा देते हुए यहां सैनिक स्मृति केंद्र और सैनिक विश्रामगृह बनाने के लिये एक करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं।

यह घोषणा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सात दिसंबर 2017 को यहां सैनिक मेले में की थी। सैनिकों के गांव के नाम से प्रसिद्ध सवाड़ चमोली जनपद के देवाल विकासखंड में स्थित है। सवाड़ उत्तराखंड का ऐसा गांव है जहां हर परिवार देश की रक्षा के लिए सेना के माध्यम से अपनी सेवा दे रहा है। वर्तमान में सवाड़ से 110 व्यक्ति सेना में हैं और 78 पूर्व सैनिक हैं। इनके साथ ही 30 सैनिक आश्रित नारियां भी हैं। प्रथम विश्वयुद्ध में इस गांव के 22 सैनिकों ने भाग लिया था। जिनमें से दो शहीद हो गए थे। द्वितीय विश्व युद्ध में भी इस गांव के 38 सैनिकों ने हिस्सा लिया था। यहां के 17 लोग स्वतंत्रता सेनानी भी रह चुके हैं। पेशावर कांड में भी 14 सैनिक इस गांव से थे। सेना के प्रति लगाव और शहीदों की याद में प्रत्येक वर्ष 7 व 8 दिसम्बर को यहां दो दिवसीय सैनिक मेले का आयोजन किया जाता है।

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