जहरीली कच्ची शराब के पीने से जिले में सैकड़ों घरों के चिराग बुझने से गांवों में छाया मातम
एक दूसरे से सवाल पूछ रहे क्षे़त्रवासी – क्या कानून के शिकंजे में फंसेंगे मौत के सौदागर
हरिद्वार। जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक करीब 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग अस्पतालों में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं लेकिन आबकारी विभाग और पुलिस दो ही इस प्रकरण की जिम्मेदारी लेने से पल्ला झाड़ने की राह तलाश रहे हैं। क्षेत्र की फिजाओं में सवाल तैर रहा है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में जहरीली शराब कैसे और कहां से आई जो उत्तराखंड से शुरू होकर पश्चिमी यूपी तक फैल गई और सैकड़ों घरों के चिराग बुझा दिए। हादसे का शिकार हुए गांवों में मातम छाया हुआ है। अब पुलिस व आबकारी विभाग में जिस तरह हड़कंप मचा है और दोनों विभाग जैसी मुस्तैदी दिखा रहे हैं, अगर यह पहले दिखाई होती तो शायद इतने लोगों की जान नहीं जाती।
जहरीली शराब का कहर लोगों पर आफत बनकर टूटा है। सैकड़ों घरों के चिराग बुझ गए हैं लेकिन इन सब की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है। मरने वालों की संख्या 100 से अधिक का आंकड़ा पार कर चुकी है। शासन-प्रशासन अब हरकत में आया है शराब की भट्ठियां तोड़ी जा रही हैं। कई लोगों को अवैध शराब के साथ गिरफ्तार भी किया गया है। जंगलों में पहुंचकर पुलिस और आबकारी विभाग की टीमों ने भारी मात्रा में लहन व कच्ची शराब को नष्ट किया है। प्रश्न यह उठता है कि जिस प्रकार इतनी बड़ी संख्या में जनहानि होने के बाद शासन प्रशासन पुलिस आबकारी विभाग हरकत में आया है यदि वह इससे पहले पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपना कार्य को अंजाम देता तो शायद जनहानि न होती।
इस भयानक दुर्घटना के बाद सभी थानों ने अपने अपने क्षेत्रों में टीमों का गठन कर विशेष अभियान चलाया जिसके चलते कई लोगों को हिरासत में लिया गया तथा बहुत से लोग अपनी शराब की भट्ठियां मौके पर छोड़ फरार हो गए। जंगलों में पुलिस ने कच्ची शराब व उपकरण नष्ट किए लेकिन क्या यह सब कार्रवाई उस प्रकरण की भरपाई कर पाएगी जो बीत चुका है। एक सौ से अधिक लोगों की मौत कोई मामूली मामला नहीं है और अभी यह संख्या और अधिक बढ़ सकती है उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक भारी संख्या में पीड़ित अस्पतालों में भर्ती है जिनका उपचार किया जा रहा है बहुत से लोगों की जाने अभी अटकी हुई है। घरों में मातम पसरा हुआ है किसी ने अपना पिता खोया है तो किसी ने अपना भाई तो किसी ने अपना पति किसी ने अपना बेटा । प्रदेश सरकार द्वारा मृतक के परिवार को दो लाख रुपये दिए जाने की घोषणा की गई है लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। यह भी सच है कि इसमें उन लोगों का बड़ा हाथ है जो अवैध शराब के कारोबार में लगे हुए हैं। कुछ गरीब लोग मात्र मजदूरी के तौर पर उनके लिए काम करते हैं जबकि बड़ी मछलियां बाहर बैठकर आराम से खेल खेलती है।
क्षेत्र के जाग़रूक लोगों का कहना है कि मामले की पूरी और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए तथा दोषियों को उनके किए की सजा मिलनी चाहिए। आखिर कौन कौन लोग इस पूरे प्रकरण में शामिल रहे उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो तभी शायद इस काले कारोबार पर अंकुश लगने की संभावना बन सकती है। बहरहाल अभी देखना यह है कि यह प्रकरण जो विपक्षी राजनीतिक लोगों के हाथ लगा है उसको किस प्रकार से हवा दी जाती है तथा पीड़ितों को किस प्रकार से सहायता पहुंचती है। वहीं हादसे का शिकार हुए क्षे़त्रवासी एक दूसरे से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सैकड़ों लोगों की मौत के जिम्मेदार कानून के शिकंजे में फंसेंगे।