भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी 35 करोड़ की पेयजल योजना

  • योजना के शुरू होने के पांच वर्ष बीत बाद भी शुद्ध पानी को तरस रहे मंगलौरवासी

मंगलौर (रुड़की)। करीब 35 करोड़ की पेयजल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस योजना से शहर के लोगों को शुद्ध व स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाना था लेकिन हालात बद से बदतर हो गए हैं। योजना के शुरू होने के पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी लोगों को इस योजना से लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते यह योजना सफेद हाथी साबित हो रही है।
तत्कालीन यूपीए सरकार में काबीना मंत्री रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नगर के लिए इस महत्वपूर्ण योजना का शिलान्यास किया था। इस योजना को पेयजल पुनर्गठन योजना का नाम दिया गया था। जिसका मकसद था कि नगर के प्रत्येक परिवार को शुद्ध व स्वच्छ तथा पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा। नगर में योजना को लेकर कार्य शुरू हुआ, भूमिगत पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ, तीन ओवरहेड टैंक बनाए गए तथा सात नलकूप भी लगाए जाने का दावा किया गया। उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम को इस कार्य की कार्यदायी संस्था बनाया गया था, लेकिन अनुभवहीन ठेकेदारों को निगम द्वारा काम सौंपा गया। जिन्होंने विभिन्न स्थानों पर लाइन बिछाई तो अनेक स्थानों पर लाइन लीकेज की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इसके साथ ही निगम को प्रत्येक घर में संयोजन पहुंचाने का कार्य करना था जो आज तक पूरा नहीं हुआ। समय-समय पर निगम के कर्मचारी पानी खोल देते हैं जिससे लोगों को और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। जो संयोजन घरों में लगाए जाने थे, ठेकेदार ने उन्हें सड़क पर ही छोड़ दिया। पानी की सप्लाई छोड़ने पर पूरा पानी सड़कों पर जमा हो जाता है। जिससे सड़क के तालाब में तब्दील हो जाती हैं। अब क्योंकि गर्मी का मौसम शुरू हो रहा है। लोगों कोजल की अधिक आवश्यकता पड़ेगी। विभिन्न स्थानों पर आज भी लोग इस प्रतीक्षा में है कि उनके घरों में स्वच्छ शुद्ध एवं पर्याप्त मात्रा में पेयजल की आपूर्ति होगी लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं है।
कारण यह है कि निगम के जिन ठेकेदारों के हाथों में यह काम है, वे घोर लापरवाही बरत रहे हैं। पिछले एक माह से निगम के ठेकेदार का कोई भी आदमी काम पर नहीं देखा गया है। जिस कारण आगामी गर्मी में भी लोगों को इस योजना का लाभ मिले ऐसा संभव नजर नहीं आ रहा है। कभी-कभी जब निगम के कर्मचारी पानी की सप्लाई छोड़ते हैं तो वह पानी भी पीने योग्य नहीं रहता क्योंकि विभिन्न स्थानों पर पाइप नाली में गड़े हुए हैं जिससे पूरी गंदगी पानी में समा जाती है। ऐसे में उस पानी को पीना किसी खतरे से खाली नहीं है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया है। इस बारे में उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम हरिद्वार के सहायक अभियंता डीएस नेगी का कहना है कि पेयजल पुनर्गठन योजना के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है ठेकेदारों की लापरवाही का मामला संज्ञान में आया है आला अधिकारियों को इस मामले से अवगत करा दिया गया है। जो भी कार्रवाई होगी आला अधिकारियों के स्तर से ही की जाएगी।

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