दून का एक और लाल मेजर विभूति वतन पर कुर्बान

  • जैश के पाकिस्तानी कमांडर और पुलवामा हमले का मास्टर माइंड कामरान के साथ गाजी राशिद सेना ने किये ढेर
  • मुठभेड़ के दौरान दून के सपूत मेजर विभूति ढौंडियाल सहित चार जवान भी हुए शहीद, मुठभेड़ जारी
  • मौका ए वारदात पर सेना की चेतावनी के बावजूद पत्थरबाजों की भीड़ सेना की कार्रवाई में डाल रही बाधा

पुलवामा में सोमवार को आतंकवादियों के सर्च अभियान मे दौरान सेना को एक मकान में आतंकी छिपे होने की खबर मिलने पर मेजर मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल के नेतृत्व में सैनिकों ने मकान को घेर लिया और उसमें छिपे आतंकियों को आत्मसमर्पण करने के लिये कहा तो उन्होंने अचानक अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में मेजर मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल सहित सेना के चार जवान शहीद हो गए। हालांकि इसके बाद सेना की टीम ने विस्फोट में मकान को उड़ा दिया जिसमें दो आतंकवादियों की मौत की खबर है। जिनमें जैश के पाकिस्तानी कमांडर और पुलवामा हमले के मास्टर माइंड कामरान के साथ दूसरे आतंकी गाजी राशिद को सेना ने ढेर कर दिया। जिसे सेना की बड़ी सफलता बताया जा रहा है।
इस मुठभेड़ में देहरादून के रहने वाले मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल सहित चार सैनिक शहीद हो गए हैं। मेजर विभूति का आवास देहरादून के नेश्विला रोड पर है। शहीद मेजर 55 राष्ट्रीय रायफल्स में तैनात थे। पिछले साल ही अप्रैल में मेजर विभूति की शादी हुई थी। वह तीन बहनों की इकलौते भाई थे। तीनों बहन उनसे बड़ी हैं। घर में उनकी दादी और मां को मेजर विभूति की शहादत के बारे में नहीं बताया गया था। बाद में सेना के अफसरों ने पत्नी को शहादत की खबर दे दी। खबर लगते ही आसपास के लोग उनके आवास पहुंचे और उनकी दादी और मां को ढांढस बंधाया।
गौरतलब है कि रविवार रात से जारी इस मुठभेड़ में पूरे इलाके को घेरकर सेना द्वारा ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है। मे मेजर विभूति ढौंडियाल सहित चार जवानों की शहादत के बाद सेना ने पूरे मकान को उड़ा दिया, जिसमें आतंकी छुपे हुए थे। शहीद हुए जवानों के नाम मेजर विभूति कुमार ढौंडियाल, हवलदाल श्यो राम, अजय कुमार और हरी सिंह बताये गये है। एनकाउंटर में शहीद हुए सभी जवान 55 राष्ट्रीय राइफ्ल्स से हैं। हालांकि सोमवार को सुबह से ही मुठभेड़ स्थल के पास पत्थरबाजों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी और पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगा रहे थे। सेना की चेतावनी के बावजूद वे वहीं पर जमे थे जिससे सेना को कार्रवाई करने में बाधा का सामना करना पड़ रहा था।

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