मौत की मदिरा के खेल में पूरी दाल ही काली!

बरसों से जारी मौत के इस कारोबार में बरस रही चांदी से और मोटी हुई आबकारी विभाग और पुलिस वालों की तोंद
जहरीली शराब पीने से उत्तराखंड और यूपी की सीमा से जुड़े गांवों में हुई मौतों ने खोली सरकार की आंखें

हरिद्वार। एक कहावत है कि बेईमानी के काम में पूरी ईमानदारी से हिस्सेदारी बांटी जाती है। इसका ताजातरीन नमूना जहरीली शराब से मरे सैकड़ों लोगों की मौत के बाद पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई है।
फिजाओं में सवाल तैर रहा है कि हरिद्वार जिले के यूपी की सीमा से सटे गांवों में कच्ची शराब की जो सैकड़ों भट्ठियां पिछले दो तीन दिनों में तोड़ी गई हैं, वे रातोंरात नहीं बनी थी। उनमें कच्ची शराब बनाने का धंधा दशकों से चल रहा था। लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि यह सब आबकारी विभाग और पुलिस की मिलीभगत के बिना चल रहा हो। अगर यह दुखद हादसा न हुआ होता तो ये भट्ठियां पहले की भांति चलती रहती।
हालांकि इस हादसे के बाद पुलिस और आबकारी विभाग के अफसर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आते हैं, लेकिन इनके चेहरे बेनकाब हो चुके हैं। क्षेत्रवासियों के अनुसार शराब की हर भट्ठी से हर महीने एक बंधी रकम एक निश्चित तारीख को थानों और आबकारी विभाग के आफिसों में पहुंच जाती है। अगर किसी भट्ठी वाले ने लेट लतीफी की तो अगले दिन ही उसकी भट्ठी तोड़ दी जाती है। जिसके अखबारों में फोटो भी छपते हैं, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि ऐसी खबरों में भट्ठी चलाने वाले धंधेबाज कभी नहीं पकड़े जाते और वे सदा ही मौके से फरार हो जाते हैं। पुलिस और आबकारी विभाग वाले उनकी तलाश कर जल्द ही पकड़ने दावा करते हैं, लेकिन वे कभी पुलिस की पकड़ में नहीं आते और उनकी भट्ठियां फिर चालू हो जाती हैं। इससे लगता है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। जिससे दोनों विभागों के आला अफसर भी अपने आपको इससे अनजान बताकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
अब मुख्यमंत्री ने इस दुखद घटना से आहत होकर आईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में विशेष एसआईटी का गठन कर जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले की गहराई से जांच कराने की घोषणा है। जिससे दोनों महकमों में हड़कंप मच गया है। इसकी वजह साफ है क्योंकि जांच के बाद जो खुलासे होंगे उससे उस भयानक गठजोड़ का खुलासा होगा जो चंद सिक्कों की खातिर लोगों की जान लेने से भी गुरेज नहीं करते। अब देखना यह है कि इस बार बड़ी मछलियां फंदे में फंसेंगी या फिर हमेशा की तरह छोटी मछलियों पर ही गाज गिरा दी जाएगी।

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