बच्चे में बदलाव तो हो जायें सावधान!

शिक्षानगरी दून बनती जा रही नशा तस्करों का साॅफ्ट टारगेट

-कालेजों और इंजीनियरिंग संस्थानों के हाॅस्टलों के इर्दगिर्द शिकार तलाशते रहते हैं मादक पदार्थों के सौदागर
-दून पुलिस की लाख चैकसी के बावजूद बरेली और सहारनपुर से बड़ी मात्रा में हो रही नशीली चीजों की तस्करी
-घर परिवार से दूर यहां अकेले रहकर पढ़ाई करने आये छात्र आसानी से आ रहे नशे की गिरफ्त में

देहरादून। अगर स्कूल कालेज में पढ़ रहा आपका किशोर वय बच्चा गुमसुम रहने लगा है, उसका स्वभाव अचानक चिड़चिड़ा हो गया है, परिजनों से दूरी बनाकर रखने लगा है, उसे सिर में तेज दर्ज की शिकायत रहने लगी है, शरीर में ऐंठन या बेचैनी महसूस करता है, बेवजह गुस्सा करता है और उसके दोस्तों में अनजान लड़कों की जमात शामिल होती जा रही है तो आप सावधान हो जाइये और उसके व्यवहार में आये बदलाव पर पूरा ध्यान देना शुरू कर दें क्योंकि हो सकता है कि वह किसी नशे की गिरफ्त आ गया हो।
हालांकि पुलिस को इस भयानक हकीकत की जानकारी है और कप्तान सहित आला अधिकारी नशीले पदार्थों की तस्करी पर लगाम कसने के साथ ही स्कूल कालेजों में नशे के खिलाफ निरंतर जागरूकता अभियान चलाये हुए हैं। इसके बावजूद शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे और खासतौर पर हाॅस्टलों में रह रहे किशोर और युवा छात्रों में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती दिख रही है। हर दूसरे तीसरे दिन अखबारों में ऐसी खबर दिख ही जाती है कि स्मैक, चरस या गांजे के साथ तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़ा। इसके बावजूद शिक्षा संस्थानों और हाॅस्टलों के इर्दगिर्द नशीली चीजों के सौदागर अपने साॅफ्ट टारगेट तलाशने के लिये मंडराते रहते हैं।
पुलिस की लाख चौकसी के बावजूद नशीली चीजें छात्र-छात्राओं तक बेरोकटोक पहुंच रही हैं। कई मामलों में यह देखने में आया है कि पुलिस जिन नशा तस्करों को गिरफ्तार करती है, उनके पास दो, तीन या पांच ग्राम तक स्मैक बरामद दिखाई जाती है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि लंबे समय से नशे की बड़ी खेप या कोई बड़ा तस्कर पुलिस के कब्जे में नहीं आया है।
इसके साथ ही शहर में खुले हुक्का बार भी युवाओं में नशे का रुझान बढ़ा रहे हैं। पिछले दिनों शिकायत मिलने पर एक हुक्का बार में जब पुलिस ने छापा मारा तो वहां अधिकतर युवा हुक्के की आड़ में स्मैक, चरस, अफीम और गांजा पीते मिले। जो हुक्का बार संचालक ने उन्हें महंगे दामों पर उपलब्ध कराये थे। सबसे चिंताजनक बात यह है कि उनमें से अधिकतर वे छात्र-छात्रायें थे जो अपने घर से दूर रहकर यहां पढ़ाई करने आये थे। इसके साथ ही प्रतियोेगिता के इस दौर में कई युवा तनाव और कुंठा से बाहर निकलने के लिये नशे का सहारा ले लेते हैं, लेकिन इससे उनके सुनहरे भविष्य का मार्ग ही अंधकारमय हो जाता है और नशे की लत के चलते वे पढ़ाई से तो विमुख हो ही जाते हैं, साथ ही नशे के बढ़ते खर्च की पूर्ति के लिये छोटे मोटे अपराध से भी जुड़ जाते हैं। इसकी तस्दीक पुलिस के आंकड़े करते हैं। महिलाओं की चेन लूटने वाले और बाइक स्कूटी चुराने वाले के मामलों में पकड़े गये युवा अधिकतर वे ही छात्र निकलते हैं जो नशीली चीजों के आदी हो चुके हैं और उनको खरीदने के लिये पैसे न होने पर वे अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं। जेल जाने के बाद इनका पढ़ाई की दुनिया से नाता तो टूट जाता है और उनकी जिंदगी नशे की लत पड़ने से तबाह हो जाती हैं।
इस बारे में मनोचिकित्सकों का कहना है कि किशोरवय बच्चों के प्रति परिजनों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। अगर अपने बच्चों के व्यवहार में आप असामान्य परिवर्तन महसूस कर रहे हैं तो इसे हल्के में लें। उसके गुमसुम रहने, चिड़चिड़ापन और अकारण गुस्सा आने पर विशेष ध्यान दें। इसके साथ ही उसके मित्रों और सहपाठियों के बारे में भी जानकारी लें। अगर जरूरत महसूस हो तो किसी मनोविशेषज्ञ से भी परामर्श करें क्योंकि अभी देर नहीं हुई है और आप उसके कदम डगमगाने से रोकने में सहायक हो सकते हैं।

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