चमोली, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ को ढेरों शुभकामनायें

देहरादून। उत्तराखंड के इतिहास में 24 फरवरी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। वर्ष 1960 में इसी दिन देवभूमि के तीन जिले चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ अस्तित्व में आये थे। इन तीनों सीमान्त जनपदों के लोगों को ढेर सारी शुभकामनाएं।
यह सच है कि इन तीनों सीमान्त जनपदों में अभी बहुत कुछ विकास होना बाकी है लेकिन आजादी के बाद का सफर बहुत सारे मायने में यादगार भी रहेगा। चमोली की ही बात करें तो चंद्रमौलि से चमोली, ज्योतिर्मठ से कत्यूरी राजवंश, नंदा राजजात से लेकर रम्माण का दिल्ली के राजपथ तक का सफर हमें गौरवान्वित करता है। इन वर्षों में चमोली ने जहाँ एक तरफ भूकंप, अतिवृष्टि व गौनि ताल टूटने की विभीषिका जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया वहीँ एक ठेठ जनजातीय महिला गौरा देवी की अगवाई में पर्यावरण बचाने के लिए चिपको आंदोलन की मुहिम ने चमोली को अंतरराष्ट्रीय ख्याति के साथ—साथ चमोली के आ​खिरी गांवों माणा, नीति और घेस तक विकास की किरण भी पहुंची। इससे जनपद चमोली को भविष्य की बड़ी उम्मीदों के साथ बधाई तो बनती ही है
भगवान् बदरीनाथ और केदारनाथ के आशीर्वाद से चमोली ने अपनी एक विशिष्ट पहचान फूलों की घाटी, नंदा देवी बायोस्फियर रिज़र्व, नंदा राजजात और गैरसैण को भविष्य की राजधानी के रूप में जो कदम उठे हैं, वे निश्चित रूप से इस सीमान्त जनपद को विशिष्ट पहचान दिलाते हैं। इस जनपदवासियों के लिए बड़ी ख़ुशी का विषय है कि जहाँ इस जनपद पर भगवन बदरीनाथ की असीम कृपा है वहीँ फूलों की घाटी, औली, बेदनी जैसे रमणीक बुग्याल, बगची और नवाली जैसे हिमालयी दर्शन के शानदार बुग्याल और औली जैसा मनोरम शीतकालीन क्रीड़ा स्थल इस जनपद की शोभा बढ़ाते हैं। वहीँ नीति घाटी के दर्जनों गावों, देवल घाटी के ऊंचाई वाले गावों जड़ी बूटी के उत्पादन के साथ ही फलोत्पादन के लिए बड़ी संभावनाएं जगा रहे हैं।
आज चमोली के पीपलकोटी और घेस जैसे दूरस्थ गावों को सरकार डिजिटल गांव घोषित करके नयी उम्मीदें जगा चुकी है।
इस जिले का भूगोल विषम होने से अभी यहाँ बहुत कुछ होना बाकी है। ख़ासकर संचार के क्षेत्र में चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं मगर भविष्य बेहतर है।
पिथौरागढ़ जिला प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यहां मुनस्यारी, पाताल भुवनेश्वर, असकोट मृग विहार, कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग इस जनपद की विशेषता हैं तो नैनी सैनी हवाई पट्टी से इसकी देश से एयर कनेक्टिविटी हो गई है। थल केदार यहां का प्रमुख मंदिर है। कपिलेश्वर महादेव मंदिर और नकुलेश्वर मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर यहां ​स्थित हैं जहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
उत्तरकाशी गंगा यमुना का उद्गगम स्थल है और चारधामों में से दो धाम गंगोत्री और यमुनोत्री भी यहीं पर हैं। यहां विश्वनाथ मंदिर, दयारा बुग्याल, प्राकृ​तिक सौंदर्य से परिपूर्ण हर्षिल और ऐसे अनेक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल हैं जिन्हें प्रचार प्रसार और विकास की जरूरत है।

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